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40 साल बाद भोपाल गैस फैक्ट्री से हटा जहरीला कचरा, जानें इस कांड का पूरा इतिहास

भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद भोपाल गैस फैक्ट्री से जहरीले कचरे को रिमूव किया गया। 4 दशकों से लोग इस जहरीले कचरे से परेशान थे लेकिन अब 337 मेट्रिक टन जहरीले कचरे को हटा दिया गया है।

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Rajveer Kaur
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toxic waste from the Bhopal gas tragedy site

Photograph: (Image Credit: ANI)

History Of Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद भोपाल गैस फैक्ट्री से जहरीले कचरे को रिमूव किया गया। 4 दशकों से लोग इस जहरीले कचरे से परेशान थे लेकिन अब 337 मेट्रिक टन जहरीले कचरे को हटा दिया गया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का कहना है कि इस पूरे प्रक्रिया में पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है। इस जहरीले कचरे को 12 सील बंद कंटेनर ट्रक्स में पीथमपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में शिफ्ट किया गया जो भोपाल से 250 किलोमीटर दूर है। अगस्त 2004 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। दिसंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस जहरीले कचरे को पीथमपुरा में निपटाया जाए। दिसंबर 2024 में हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि कचरा एक महीने के अंदर हटाया जाना चाहिए।

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40 साल बाद भोपाल गैस फैक्ट्री से हटा जहरीला कचरा, जानें इस कांड का पूरा इतिहास

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1984 भारत के इतिहास में एक ऐसा साल है जिसमें बहुत कुछ दुर्भाग्य घटनाएं हुईं। इनमें से एक भोपाल गैस कांड है। यह बात 2 दिसंबर, 1984 की है जब रात के 8:30 बजे थे और मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हवा जहरीली हो रही थी। लोग सांस लेने में मुश्किल महसूस कर रहे थे। रात के बढ़ने के साथ इस जहरीली हवा ने लोगों की जान लेना भी शुरू कर दिया। दरअसल यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक होनी शुरू हो गई थी जिसकी चपेट में 5 लाख से ज्यादा लोग आएं।

कोई नहीं था तैयार 

जिन लोगों की जान बच भी गई, उन्हें फेफड़ों संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ा और कुछ लोग पूरी जिंदगी के लिए विकलांग होकर रह गए। 24 घंटे में 3000 से ज्यादा लोग की जान चली गई। सबसे बड़ी दुख की घटना बात यह थी कि किसी को भी यह समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ यह क्या हो रहा है और प्रशासन की भी कोई तैयारी नहीं थी। लोगों को जब सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो वह घर से बाहर निकलने लगे लेकिन हालात बाहर ज्यादा खराब थे। अस्पतालों में भी भीड़ बेकाबू थी। इसके साथ ही डॉक्टर भी समझ नहीं पा रहे थे कि यह पूरा मामला क्या है और इसका इलाज कैसे करना है। उस समय बहुत सारी प्रेग्नेंट महिलाओं को एबॉर्शन का सामना करना पड़ा।

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क्या था यह केमिकल 

मिथाइल आइसोसाइनेट एक केमिकल होता है जिसका इस्तेमाल पेस्टिसाइड्स बनाने के लिए किया जाता है। यह गैस बहुत ज्यादा घातक होती है और उस 24 घंटे में 40 टन मिथाइल आइसोनाइट लीक हुई। इस गैस का असर अगली जेनरेशन में भी देखा गया है। इस हादसे के मुख्य आरोपी कंपनी का सीईओ वाॅरेन एंडरसन था। 6 दिसंबर, 1984 को उन्हें गिरफ्तार भी किया गया लेकिन अगले ही दिन बेल मिल गई। इसके बाद सरकारी विमान से दिल्ली रवाना कर दिया गया और वहां से उसने देश छोड़ दिया और कभी वापस नहीं आया। 2014 में एंडरसन की 93 साल की उम्र में मौत हो गई।

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