गुजरात के हिमतनगर में 8 वर्षीय एक बच्चे में ह्यूमन मेटाप्न्यूमोवायरस (HMPV) का संक्रमण पाया गया है, जिससे भारत में इस वायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, यह बच्चा फिलहाल वेंटिलेटर पर है और आवश्यक चिकित्सा देखभाल प्राप्त कर रहा है।
HMPV वायरस ने भारत में दी दस्तक! बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ाई, सरकार अलर्ट
बच्चे की प्रारंभिक जांच एक निजी लैब में सकारात्मक पाई गई थी, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों ने आगे की पुष्टि के लिए उसकी रक्त जांच सरकारी प्रयोगशाला में भेजी है।
इससे पहले, गुजरात में इस महीने के शुरुआत में एक दो महीने के बच्चे में भी एचएमपीवी वायरस का पहला मामला सामने आया था।
स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि सरकार स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है। प्रमुख शहरों जैसे गांधीनगर, अहमदाबाद और राजकोट में आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं ताकि संभावित प्रकोप का प्रबंधन किया जा सके। पटेल ने कहा, "हम किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं, और राज्यभर में अतिरिक्त परीक्षण सुविधाएं स्थापित की गई हैं।"
HMPV वायरस का चीन में फैलाव: भारत में बढ़ी सतर्कता
एचएमपीवी वायरस ने चीन में तेजी से पैर पसारे थे, जिसके बाद इसे लेकर भारत में भी चिंता बढ़ गई है। हालांकि, कर्नाटका, गुजरात और महाराष्ट्र की सरकारों ने यह स्पष्ट किया है कि फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है, दिल्ली सरकार ने सभी अस्पतालों को तैयार रहने का निर्देश दिया है, ताकि किसी भी संभावित श्वसन रोगों के मामलों को सही तरीके से संभाला जा सके।
भारत में तीन में से दो मामले कर्नाटका में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा नियमित निगरानी के दौरान सामने आए थे।
नड्डा ने किया साफ, 'नया वायरस नहीं है'
एचएमपीवी वायरस के प्रसार के बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने नागरिकों से घबराने की जरूरत नहीं होने की अपील की। नड्डा ने एक ब्रीफिंग के दौरान कहा, "स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है, इसे पहली बार 2001 में पहचाना गया था और यह कई वर्षों से पूरे दुनिया में फैल रहा है। एचएमपीवी हवा के जरिए फैलता है, खासकर सांस लेने से।"
HMPV Virus क्या है?
HMPV एक सामान्य श्वसन वायरस है, जो आमतौर पर जुकाम जैसे हल्के लक्षण पैदा करता है। अध्ययन से पता चलता है कि यह वायरस 1970 के दशक से मानव आबादी में मौजूद है, हालांकि इसे पहली बार 2001 में वैज्ञानिकों द्वारा पहचाना गया था।
यह वायरस वैश्विक स्तर पर तीव्र श्वसन संक्रमणों का कारण बनता है, और इसके मामले आमतौर पर नवंबर से मई तक बढ़ते हैं। जबकि अधिकांश वयस्क पहले के संपर्कों के माध्यम से इम्यूनिटी विकसित कर चुके हैं, यह वायरस पहले बार संपर्क में आने वाले शिशुओं और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों में अधिक गंभीर लक्षण उत्पन्न कर सकता है।
सरकार का अलर्ट
स्वास्थ्य मंत्रालय ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस वायरस से बचने के लिए आवश्यक सावधानियां बरतें। यदि किसी व्यक्ति को सर्दी, खांसी, बुखार, या सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं महसूस हो रही हैं, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।
Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।