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Photograph: (TV9 Bharatvarsh)
Husbands of Women Panchayat Members Take Oath: छत्तीसगढ़ राज्य से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पितृसत्तात्मक समाज की असली तस्वीर हमारे सामने लाकर रख दी है। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के पंडरिया ब्लॉक में परसवारा गांव स्थित है। यह एक बहुत ही छोटा गांव है जहां की पंचायत में 6 महिला पंचों को चुना गया लेकिन शपथ उनके पतियों ने ली। इस घटना के बारे में सोशल मीडिया से पता चला जब वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद जांच के आदेश दे दिए गए। चलिए पूरी घटना जानते हैं-
#WATCH | The husbands of six newly elected women #panchayat representatives (panches) allegedly took the oath in place of their wives in a #village in #Chhattisgarh's Kabirdham district, prompting the authorities to order a probe. pic.twitter.com/vtPn8TaP1K
— The Federal (@TheFederal_News) March 5, 2025
'पंच पति'? 6 महिला पंचों की जगह उनके पतियों को दिलाई गई शपथ, कब होगा पितृसत्ता का खेल खत्म
छत्तीसगढ़ के परसवाड़ा गांव से एक ऐसा मामला सामना आया है जहां पर 6 नवनिर्वाचित महिला पंचों के पतियों ने उनके स्थान पर शपथ ली। इस मामले के बाद आक्रोश फैल गया और आधिकारिक जांच के आदेश दिए गए। दरअसल परसवाड़ा ग्राम ग्राम पंचायत में कुल 12 पंच चुने गए जिनमें से 6 महिलाएं हैं लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में महिलाओं की जगह उनके पतियों को शपथ दिलाई गई जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
कुल 12 वार्ड
इस गांव में कुल 12 वार्ड हैं, जिनमें से 6 पर पुरुषों और अन्य 6 पर महिलाओं को निर्वाचित किया गया। 6 निर्वाचित महिलाओं में से गायत्री बाई चंद्र वानसी को वार्ड 2 से, सरिता साहू को वार्ड 3 से, मीराबाई को वार्ड 4, संतोषी चंद्र वानसी को वार्ड 5, सरिता बाई को वार्ड 7 से और विद्या बाई को वार्ड 12 से चुना गया था लेकिन इन्हें दरकिनार कर दिया गया। 3 मार्च को इन 6 महिलाओं की जगह उनके पतियों ने अन्य निर्वाचित पुरुष पंचायत सदस्यों के साथ शपथ ली। इस समारोह में पंचायत सचिव द्वारा शपथ दिलाई गई लेकिन अब उसे सस्पेंड कर दिया गया है।
यह बात भी देखने योग्य है कि पंडरिया ब्लॉक में परसवाड़ा गांव भी शामिल है जिसकी कमान महिला विधायक भाजपा की भावना बोहरा के हाथ में हैं। पंचायत सचिव प्रदीप ठाकुर ने इस मामले पर बयान दिया कि 3 मार्च की सिर्फ पुरुष प्रतिनिधियों को शपथ दिलाई गई थी। वहीं महिलाओं का शपथ ग्रहण समारोह 6 मार्च को आयोजित किया गया।
पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को कब जगह मिलेगी?
यह घटना बहुत ही दुखदायक है जिससे हमारे समाज की एक तस्वीर सामने आती है कि महिलाओं के हित में फैसला लेना पर्याप्त नहीं है बल्कि ऐसा माहौल पैदा करना होगा जहां पर उन्हें पुरुषों के ऊपर निर्भर ना होना पड़े। यह पहला मामला नहीं है। ऐसी घटनाओं से समझ आता है कि कैसे आज भी महिलाओं को असमर्थ माना जाता है और उनकी काबिलियत पर सवाल उठाए जाते हैं। यह घटना महिलाओं के अधिकारों के ऊपर हमला है। 'पंच पति' जैसा कोई पद नहीं है लेकिन आज भी लोगों की सोच यह है कि पुरुषों के पास अथॉरिटी है जबकि महिलाओं की भूमिकाएँ घर के कामों तक ही सीमित है। इससे पता चलता है कि कैसे पितृसत्तात्मक सोच हमारे समाज में गहराई से जड़े हुए हैं कि अभी भी ऐसे व्यवहार को नॉर्मल माना जाता है और इसके ऊपर सवाल नहीं उठाए जाते हैं।