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हेट शीतलबेन शुक्ला नाम के एक छात्र ने आईआईएम-अहमदाबाद में अपनी जगह बनाई है। हालांकि किसी को भी आश्चर्य होगा कि उसमें क्या खास बात है? लेकिन उनके नाम में मां का नाम भी शामिल है। उसकी मां ने उन्हें अकेले ही पाला है। मां का किया धन्यवाद
उनका कहना है कि वह उनकी मां की कड़ी मेहनत और समर्पण के कारण उचाई में है। वह भोपाल में पले-बढ़े है और उन्होंने अपना जीवन किराए के घर में रेह कर बिताया है।
उनकी मां के पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है और वह उनकी पढ़ाई में मदद करती थीं। वह घर का खर्च चलाने और कमाने के लिए ट्यूशन पढ़ाती थी। वहीं हेट ने आनंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी से होरिक्लचर में ग्रेजुएशन पूरा किया है। उ
एक निजी फर्म में एग्रीकल्चरल कमोडिटीज़ के लिए बिक्री और खरीद कार्यकर्ता के रूप में भी काम किया है। हालांकि उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में आईआईएम-ए पास कर लिया था।
अब 2021-23 बैच के लिए PGP FABM (Food and Agribusiness Management) प्रोग्राम में IIM-A में भर्ती कराया गया है। इसके पहले उन्होंने प्रयास किया था लेकिन उसमें वह विफल रहे। वही यह उनका दूसरा प्रयास है।
भारत के इस ऑर्गेनाइजेशन के प्रति उनका प्यार का पता उनके बचपन से लगाया जा सकता है, जब वे मुख्य परिसर से गुजरते थे। दरअसल चेतन भगत की किताबों के माध्यम से ही उन्हें संस्थान के बारे में जानकारी मिली थी। जिसके बाद उनको पढ़ने की इच्छा हुई।
यह पूछे जाने पर कि वह अपनी डिग्री का उपयोग कैसे करने की योजना बना रहे हैं, उन्होंने कहा कि वह फसल कटाई के बाद होरिकल्चर फसलों के नुकसान की समस्या को हल करने का सोचा है, जिसका सामना ज्यादातर किसान करते हैं। वह यहां कांसेप्ट ऑफ मैनेजमेंट का अध्ययन करेंगे और समस्या को हल करने के लिए बाद में उन्हें लागू करेंगे।
मां का किया धन्यवाद
उनकी सफलता का कारण उनकी मां है
उनका कहना है कि वह उनकी मां की कड़ी मेहनत और समर्पण के कारण उचाई में है। वह भोपाल में पले-बढ़े है और उन्होंने अपना जीवन किराए के घर में रेह कर बिताया है।
उनकी मां के पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है और वह उनकी पढ़ाई में मदद करती थीं। वह घर का खर्च चलाने और कमाने के लिए ट्यूशन पढ़ाती थी। वहीं हेट ने आनंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी से होरिक्लचर में ग्रेजुएशन पूरा किया है। उ
एक निजी फर्म में एग्रीकल्चरल कमोडिटीज़ के लिए बिक्री और खरीद कार्यकर्ता के रूप में भी काम किया है। हालांकि उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में आईआईएम-ए पास कर लिया था।
दूसरे प्रयास के बाद मिली आईआईएम -A में जगह
अब 2021-23 बैच के लिए PGP FABM (Food and Agribusiness Management) प्रोग्राम में IIM-A में भर्ती कराया गया है। इसके पहले उन्होंने प्रयास किया था लेकिन उसमें वह विफल रहे। वही यह उनका दूसरा प्रयास है।
भारत के इस ऑर्गेनाइजेशन के प्रति उनका प्यार का पता उनके बचपन से लगाया जा सकता है, जब वे मुख्य परिसर से गुजरते थे। दरअसल चेतन भगत की किताबों के माध्यम से ही उन्हें संस्थान के बारे में जानकारी मिली थी। जिसके बाद उनको पढ़ने की इच्छा हुई।
यह पूछे जाने पर कि वह अपनी डिग्री का उपयोग कैसे करने की योजना बना रहे हैं, उन्होंने कहा कि वह फसल कटाई के बाद होरिकल्चर फसलों के नुकसान की समस्या को हल करने का सोचा है, जिसका सामना ज्यादातर किसान करते हैं। वह यहां कांसेप्ट ऑफ मैनेजमेंट का अध्ययन करेंगे और समस्या को हल करने के लिए बाद में उन्हें लागू करेंगे।
मां का किया धन्यवाद