International Dance Day: आज भारत ही नहीं विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया मनाया जा रहा है। नृत्य का अपनेआप में बहुत महत्व है। हर देश की पहचान उसके अपने नृत्य से भी है। नृत्य कला और संस्कृति का मेलजोल है।
भारत में नृत्य का बहुत महत्व रहा है। प्राचीन काल से भारत में नृत्य से जुड़ी बहुत-सी परंपराएं और भाव-भंगिमाएं देखी जा सकती हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां हर राज्य का अपना एक अलग नृत्य है। नृत्य यहां लोक कला और संस्कृति का अद्भुत संगम है। लोक नृत्य और लोक गीत की कल्पना किए बगैर भारत की कल्पना भी अधूरी है।
कैसे हुई अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत
इंटरनेशनल डांस डे के पीछे यूनेस्को ने मुख्य भूमिका निभाते हुए डांस के लिए विशेष दिन घोषित किया। दरअसल यूनेस्को के इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने डांस डे की भूमिका रखी। यूनेस्को ने 29 अप्रैल 1982 को नृतक जीन जार्ज नावेरे के जन्मदिनघरल को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में घोषित किया।
क्या है नृत्य या डांस के लाभ
नृत्य की हमारे शारीरिक और मानसिक विकास में बहुत अहम् भूमिका होती है। नृत्य करने से मोटाप, वजन, थकान और कमजोरी, शारीरिक और मानसिक तनाव, पेट संबंधी रोग, मांसपेशियों से जुड़ी समस्याएं, शरीर में दर्द, भावनाओं का विकास जैसे बहुत से स्तरों पर प्रभाव पड़ता है। नृत्य को शारीरिक गतिविधि की उपमा दी जा सकती है। ये एक तरह की अपने आप में योग और एक्सरसाइज है। यही कारण है कि डांस को हर जगह पहला महत्व दिया जाता है। घर हो या संस्थान, नृत्य को एक अलग सम्मान की नजर से देखा जाता है।
भारत में नृत्य या डांस का महत्व
भारत में लोक नृत्य के रूप में कत्थक, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, गरबा, बिहू, भांगड़ा और बहुत से नृत्य है। दरअसल भारत के अपने रीति-रिवाजों में और पारंपरिक त्यौहारों, मंगलकार्यों में नृत्य को विशेष स्थान दिया जाता है। भारत के धार्मिक शास्त्रो, उपनिषदों और वेदों में नृत्य के महत्व को समझाया गया है। यहां का नृत्य देश ही नहीं विदेशों में भी सराहा जाता है। भारत में किसी भी मंगलकार्य को नृत्य के साथ ही पूरा किया जाता है।
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