इंडिया में कोरोना के मामले बढ़े - इंडिया में काफी लम्बे समय से कोरोना के मामले 20,000 से कम आ रहे थे। लेकिन अब पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड किए मामलों में देखा गया है कि मामले टोटल 23,529 आए हैं। इतने समय से केसेस कम आने से लोगों ने उम्मीद बाँधी हुई थी कि कोरोना जल्द ही ख़त्म हो जायेगा और हम वापस से बिना किसी डर के अपने कामों पर वापस जा पाएंगे। केसेस के बढ़ने का एक कारण स्कूल खुलना भी हो सकता है।
इंडिया में कोरोना के हालात क्या हैं?
इंडिया में कोरोना की रिकवरी रेट 97.85% हो चुकी है। यह एक अच्छा साइन है और इससे यह साफ़ है कि कोरोना से होने वाली डेथ कम हो गयी हैं। कोरोना होने वालों कि रिकवरी रेट भी अभी सबसे हाईएस्ट चल रही है। इंडिया में टोटल डेथ केसेस 4,48,062 हो चुके हैं। अभी तक टोटल कोरोना के केसेस 3,37,39,980 रिकॉर्ड हो चुके हैं।
क्या कोरोना में स्कूल खोलना सही है?
हाल में ही बैंगलोर का एक मामला सामने आया था जहाँ हॉस्टल में 60 बच्चों एक साथ कोरोना हुआ और उसके बाद स्कूल बंद हो गया था। इनमें से एक छात्र को तेज बुखार था, जिसका लेडी कर्जन और बॉरिंग हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है, जबकि एक अन्य को होम क्वारंटाइन में रखा गया है। ऐसे में सरकार पर सवाल उठ रहें हैं कि क्या अभी बच्चों के लिए स्कूल-कॉलेजों को खोलना, एक सही फैसला है?
एएनआई ने ट्विटर पर इस खबर को साझा किया और बताया कि स्कूल ने 5 सितंबर को बड़े बच्चों के लिए 22 शिक्षकों और 485 छात्रों सहित 57 पूरी तरह से टीकाकरण कर्मचारियों के साथ ऑफलाइन क्लासेज फिर से शुरू की थीं। 26 सितंबर को, एक छात्रा, जो कथित तौर पर बेल्लारी से आई थी, में बुखार, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण विकसित होने लगे, जिसके बाद उसे कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया।
ऐसे में क्या स्कूलों को दुबारा खोलना एक गलत फैसला नहीं है? या फिर हमें और भी अधिक सावधानी बरतने की जरुरत है। दिल्ली और यूपी के कई क्षेत्रों में कोविड-19 के नॉर्म्स को फॉलो करते हुए, 12वीं और 10वीं के क्लासेज को फिजिकल मोड पर कर दिया गया है।