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इतालवी साहित्य विशेषज्ञ फ्रांसेस्का ऑर्सिनी हाल ही में चर्चा में हैं, क्योंकि उन्हें कथित तौर पर 20 अक्टूबर को भारत में प्रवेश से रोक दिया गया और ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। बताया जा रहा है कि उन्हें हांगकांग से आने के बाद नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से वापस भेज दिया गया, जहां वे एक कॉन्फ्रेंस में शामिल हुई थीं। वे आखिरी बार अक्टूबर 2024 में भारत आई थीं।
फ्रांसेस्का ऑर्सिनी कौन हैं? भारत आने से रोकी गई इतालवी हिंदी की प्रोफेसर
मामले से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, फ्रांसेस्का ऑर्सिनी को भारत में प्रवेश की अनुमति न देने का कारण उनके टूरिस्ट वीज़ा की शर्तों का उल्लंघन बताया गया है। हालांकि, रिपोर्टों के मुताबिक प्रोफेसर ऑर्सिनी का कहना है कि वे वैध वीज़ा पर यात्रा कर रही थीं।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि फ्रांसेस्का 2024 में टूरिस्ट ई-वीज़ा पर भारत आई थीं, लेकिन उस दौरान उन्होंने एक विश्वविद्यालय में भाषण दिया और शोध कार्य किया, जिसे वीज़ा की शर्तों का उल्लंघन माना गया।
फ्रांसेस्का ऑर्सिनी कौन हैं?
फ्रांसेस्का ऑर्सिनी दक्षिण एशियाई साहित्य की एक इतालवी विद्वान हैं। उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ (SOAS) से पीएचडी की है, जहाँ से वे हिंदी और दक्षिण एशियाई साहित्य की प्रोफेसर एमेरिटा के रूप में सेवानिवृत्त हुईं। इससे पहले, वे 2006 में SOAS से जुड़ने से पहले यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज में लेक्चरर थीं।
फ्रांसेस्का ऑर्सिनी ने वेनिस यूनिवर्सिटी से हिंदी में बीए किया और आगे चलकर दिल्ली के हिंदी संस्थान और जेएनयू में पढ़ाई की। बाद में उन्होंने SOAS से पीएचडी पूरी की। उन्होंने The Hindi Public Sphere (1920–1940) और Print and Pleasure जैसी कई प्रसिद्ध किताबें लिखी हैं।
SOAS की वेबसाइट के मुताबिक, फ्रांसेस्का ऑर्सिनी ने 1920 और 1930 के दशक के हिंदी साहित्य पर काम किया है। उनका अध्ययन इस बात पर है कि उस समय की पत्रिकाओं, खासकर महिलाओं की पत्रिकाओं में हो रहे नए साहित्यिक और सामाजिक प्रयोग “शुद्ध” और देशभक्ति वाली हिंदी परंपराओं से कैसे अलग थे।
वर्तमान में फ्रांसेस्का ऑर्सिनी अवध की बहुभाषी साहित्यिक इतिहास (15वीं से शुरुआती 20वीं शताब्दी तक) पर एक किताब पर काम कर रही हैं। इसके अलावा, वे “Multilingual Locals and Significant Geographies: For a New Approach to World Literature” नामक परियोजना का नेतृत्व भी कर रही हैं। वे पीटर कॉर्निकी से विवाहित हैं, जो एक अंग्रेज़ जापान विशेषज्ञ हैं। उनके पति एशिया में पुस्तकों और भाषाओं के इतिहास पर अपने शोध के लिए जाने जाते हैं।
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