Karnataka High Court On Marital Rape: कर्णाटक हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। मैरिटल रपे मतलब होता है जब पति अपनी पत्नी को सेक्स के लिए फाॅर्स करता बिना उसकी मंजूरी के। इस मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि अगर बिना बीवी की मंजूरी के कोई भी सेक्सुअल एक्ट पति द्वारा होता है तो वो रपे की श्रेणी में आएगा।
कर्णाटक हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप को लेकर क्या कहा?
कोर्ट ने यह भी कहा कि पुराने विचार जिनके हिसाब से पति एक पत्नी का शासक होता है और उसका उसकी बीवी के शरीर, दिमाग और आत्मा पर पूरा हक़ होता है गलत है। "“The age-old thought and tradition that the husbands are the rulers of their wives, their body, mind, and soul should be effaced. It is only on this archaic, regressive, and preconceived notion, the cases of this kind are mushrooming in the nation.”
कर्णाटक हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि मैरिटल रेप बहुत ही बुरा होता है और शादी का मतलब पुरुष को विशेषाधिकार देना नहीं होता है। यह फैसला एक केस के बाद आया है जिस में एक पति ने इसलिए रेप चार्जिस हटाने को कहा क्योंकि उसकी वाइफ ने केस फाइल किया है। यह केस इंडियन पीनल कोर्ट की धारा 376 के अंडर में दर्ज था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप को लेकर फरवरी में सेण्टर से जवाब माँगा था। इस केस में जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी हरी शंकर ने सरकार को 10 दिन का समय दिया था। यह मामला 2015 से पेंडिंग पड़ा हुआ है। इस मामले को कोर्ट अब अर्जेंट मैटर में ले रहे हैं और जल्द जल्द से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। इंडिया में मैरिटल रेप को लेकर फ़िलहाल कोर्ट में सुनवाई हो रही है और इसके फायदे और नुकसान के बारे में बात की जा रही है। लेकिन क्या आपको लगता है कि यह कोई बहस का मुद्दा है। इसकी हियरिंग के दौरान जस्टिस राजीव शकधर ने कहा कि “जब इंडिया का लॉ एक सेक्स वर्कर को जबरजस्ती सेक्स से बचाता है तो फिर एक बीवी को क्यों नहीं?”