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Photograph: (@CentralIfs/X)
काज़ीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व की फील्ड डायरेक्टर सोनाली घोष भारत की पहली व्यक्ति हैं जिन्हें आईयूसीएन केनटन आर. मिलर अवॉर्ड मिला। यह सम्मान वन्यजीव संरक्षण और जंगलों की सुरक्षा में उनके अभिनव और प्रभावशाली काम के लिए दिया गया। अवॉर्ड अबू धाबी में IUCN वर्ल्ड कंज़र्वेशन कांग्रेस में प्रदान किया गया।
काज़ीरंगा की पहली महिला फील्ड डायरेक्टर सोनाली घोष को मिला बड़ा सम्मान
केनटन आर. मिलर अवॉर्ड की स्थापना 2006 में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के वर्ल्ड कमिशन ऑन प्रोटेक्टेड एरियाज (WCPA) ने की थी। यह अवॉर्ड उन व्यक्तियों या टीमों को दिया जाता है जिनके संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन, प्रशासन, समुदाय की भागीदारी और संरक्षण योजना में किए गए नए और प्रभावशाली काम का दुनिया भर में महत्वपूर्ण असर पड़ा हो।
सोनाली घोष को उनके समुदाय-केंद्रित और वैज्ञानिक रूप से आधारित संरक्षण मॉडल के लिए सम्मानित किया गया। खासकर उन्होंने असम के काज़ीरंगा और मानस नेशनल पार्क जैसे जैव विविधता से भरपूर इलाकों में यह मॉडल लागू किया।
शिक्षा और शुरुआत
घोष ने 2000-2003 के बीच भारतीय वन सेवा (IFS) की परीक्षा में टॉप किया। उनका काम हमेशा प्रकृति और जानवरों की सुरक्षा से जुड़ा रहा है। उन्होंने अपना करियर काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिज़र्व से शुरू किया। वहाँ उन्होंने जंगल की देखभाल, शिकार रोकने और गाँव के लोगों को संरक्षण से जोड़ने पर काम किया।
पहली महिला फील्ड डायरेक्टर
1 सितंबर 2023 को घोष काज़ीरंगा की पहली महिला फील्ड डायरेक्टर बनीं। यह एक बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि यह पद पहले हमेशा पुरुषों के पास रहा है।उन्होंने चक्राशिला वन्यजीव अभयारण्य में संकट में पड़ी सुनहरी लंगूर बंदर की रक्षा की। इसके अलावा, मानस राष्ट्रीय उद्यान में उन्होंने जंगल और जानवरों को दोबारा बसाने में मदद की।
नीति बनाने में भूमिका
मैदानी काम के साथ-साथ घोष ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority) में भी काम किया।
विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान का मेल
घोष अपने काम में वैज्ञानिक शोध और पारंपरिक पर्यावरण ज्ञान को साथ जोड़ने के लिए जानी जाती हैं। वे हमेशा यह मानती हैं कि स्थानीय लोगों की भागीदारी सबसे ज़रूरी है।
उन्होंने शिकार रोकने, बाढ़, मानव-वन्यजीव संघर्ष और जंगलों के नष्ट होने जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए व्यावहारिक और समझदारी भरे समाधान अपनाए हैं।उनके नेतृत्व से न केवल वन्यजीव संरक्षण मज़बूत हुआ है, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी सशक्त बनाया गया है ताकि वे संरक्षण के काम में भाग ले सकें।
सम्मान और पहचान
केंटन आर. मिलर अवॉर्ड (Kenton R. Miller Award) ने उनके काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है। इस पुरस्कार ने दिखाया कि भारत भी संरक्षित क्षेत्रों के बेहतर प्रबंधन और नवाचारपूर्ण संरक्षण मॉडल के लिए दुनिया में अग्रणी है। यह सम्मान घोष की दूरदर्शिता, मेहनत और टिकाऊ (sustainable) तरीकों से काम करने की क्षमता का प्रतीक है।
प्रेरणादायक सफर
सोनाली घोष का करियर इस बात का उदाहरण है कि ज्ञान, लगन और लोगों के साथ मिलकर काम करने से पर्यावरण की तस्वीर बदली जा सकती है। वे आज भी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर रही हैं कि ईमानदार कोशिश और नई सोच से धरती के सबसे अनमोल पारिस्थितिक तंत्रों (ecosystems) की रक्षा की जा सकती है।