Kerala High Court: केरल के त्रिशूर जिले की एक किशोरी लड़की को Kerala High Court ने अपने पिता की जान बचाने के लिए अपने लीवर का एक हिस्सा दान करने के लिए परमिशन दी। कोर्ट ने 17 वर्षीय लड़की की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें उसने मानव अंगों और टिश्यू के प्रत्यारोपण नियम, 2014 के तहत निर्धारित आयु में दाता होने की छूट की मांग की थी।
Teenage Girl To Donate Liver To Father
जस्टिस वी जी अरुण ने अपने आदेश में कहा कि यह जानकर 'सुखद' है कि किशोरी द्वारा रखी गई 'अविश्वसनीय लड़ाई' सफल हो गई है। अरुण ने कहा, "मैं बच्ची के पिता की जान बचाने के लिए याचिकाकर्ता की लड़ाई की सराहना करता हूं। धन्य हैं वे माता-पिता जिनके पास देवानंदा <याचिकाकर्ता> जैसे बच्चे हैं”।
बच्ची के पिता प्रतीश पीजी डीकंपेंसेटेड क्रॉनिक लिवर डिजीज विद हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा से परेशान हैं, जो एक गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर बीमारी है। पीडित के परिजनों में सिर्फ उसकी बेटी का लिवर मैच हुआ। उसके जीवन को बचाने का एकमात्र साधन प्रत्यारोपण सर्जरी के माध्यम से क्षतिग्रस्त लिवर को बदलना है।
Kerala High Court: देवानंदा इतिहास का हिस्सा बन रहीं हैं
देवानंदा अपने पिता के जीवन को बचाने के लिए अपना अंग दान करने को तैयार है, लेकिन मानव अंग और tissue transplant अधिनियम के प्रावधानों के तहत, बच्ची को अपने अंग दान करने की अनुमति नहीं है। देवानंदा ने अपनी याचिका में अस्पताल प्रशासन को यह निर्देश देने की भी मांग की है कि यदि वह चिकित्सकीय रूप से दाता बनने के लिए फिट है तो उसे एक adult के रूप में इलाज करके अपने चिकित्सा दायित्वों को पूरा करें। केरल हाई कोर्ट ने केरल राज्य अंग ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (K-SOTTO) द्वारा गठित एक समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर विचार करते हुए यह फैसला किया, जिसे अदालत ने मामले का अध्ययन करने का निर्देश दिया था।
जांच के बाद, समिति ने शुरू में अनिच्छा के बावजूद कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन देवानंदा की याचिका की अनुमति देते हुए एक रिपोर्ट प्रेजेंट की। फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी उस बच्ची के दृढ़ संकल्प की सराहना की। जॉर्ज ने एक बयान में कहा, 'अंग दान प्रक्रिया में देवानंदा इतिहास का हिस्सा बन रहीं हैं।'