/hindi/media/media_files/2025/01/28/St2boIqX5gsO0HFfRd2N.png)
Image Credit: Kadamb
Kumudini Lakhia Honored with Padma Vibhushan for Her Contributions to Kathak: केंद्र सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी, 2025 को पद्म पुरस्कार विजेताओं की सूची घोषित की गई। इस सूची में 7 नाम पद्म विभूषण के लिए, 19 नाम पद्म भूषण और 113 नाम पदम श्री के लिए चुने गए। ये पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति भवन में आमतौर पर मार्च या अप्रैल में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्वारा दिए जाते हैं। पद्म पुरस्कार विजेताओं में 23 महिलाओं के नाम शामिल हैं। पद्म पुरस्कार केंद्र सरकार द्वारा कला, समाज सेवा, साइंस, इंजीनियरिंग, बिजनेस, इंडस्ट्री, मेडिकल, शिक्षा और सिविल सेवा आदि विविध क्षेत्रों में तीन कैटेगरी में दिए जाते हैं जो पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पदम श्री है। आज हम आपके साथ कत्थक की पर्यायवाची कुमुदिनी लाखिया जी के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नाम पद्म विभूषण के लिए चुना गया है-
जानिए कौन हैं Kumudini Lakhia जिनका नाम पद्म विभूषण की सूची में शामिल है
कुमुदिनी लाखिया प्रतिष्ठित भारतीय कथक नृत्यांगना और कोरियोग्राफर हैं, जिन्हें कथक कला में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 1930 अहमदाबाद, गुजरात में हुआ। इस जगह पर इन्होंने साल 1967 में कदंब स्कूल ऑफ़ डांस एंड म्यूज़िक शुरू किया। इस संस्था ने कथक के पारंपरिक नृत्य रूप को बढ़ावा देने और विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कथक को अपना जीवन समर्पित किया। इस दौरान उन्होंने कथक को सीखा, सिखाया और डांस के इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया। आज उनका नाम कथक के पर्यायवाची में लिया जाता है। उन्होंने 1973 में कोरियोग्राफी को शुरू किया। कुमुदिनी लाखिया को यह बात सबसे अलग बनाती हैं कि कैसे उन्होंने कथक को पारंपरिक सिंगल परफॉर्मेंस से ग्रुप परफॉर्मेंस पर शिफ्ट किया।
उनकी कुछ उल्लेखनीय कोरियोग्राफी में "धबकर" (पल्स), "युगल" (द डुएट) और "अता किम" (व्हेयर नाउ?) शामिल हैं। इन्हें दिल्ली में सालाना कथक महोत्सव सहित विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर परफॉर्मेंस दी हैl
कदंब के बहुत सारे छात्राओं ने विश्व लेवल पर अपना प्रदर्शन दिखाया जैसे अदिति मंगलदास, वैशाली त्रिवेदी और दक्षा शेठ और मौलिक शाह एवं इशिरा पारिख आदि। लाखिया ने अपनी कला के माध्यम से 1981 में आई मुजफ्फर अली की मूवी "उमराव जान" से सिनेमा में योगदान दिया है।
लाखिया की कला ने कई पुरस्कार उनके नाम किए जैसे 1987 में पद्म श्री, 2010 में पद्म भूषण और हाल ही में, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म विभूषण, जो नृत्य में उनकी आजीवन उपलब्धियों को मान्यता देता है।