कलकत्ता ने शुक्रवार को सूचित किया कि कलकत्ता हाई कोर्ट की जो पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति रह चुकी मंजुला चेल्लूर चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में हुए हिंसा के आरोपियों की जांच करेगी। इसके लिए उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा विशेष दल एसआईटी की प्रमुख घोषित किया गया।
पश्चिम बंगाल में जो चुनाव के बाद हिंसा का माहोल था उसने पूरे देश को धक्का बैठा था। इस हिंसा में कई लोगो की मार पीट हुई, महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार हुआ। इसका आरोप हर सियासती पार्टी ने एक दूसरे के ऊपर लगाया। इसकी जांच अभी तक रूकी हुई थी लेकिन न्यायमूर्ति मंजुल्ला चेल्लूर की एसआईटी की प्रमुख के तौर पर नियुक्ति होने पर तेजी से जांच होगी।
पश्चिम बंगाल हाईकोर्ट का निर्णय (Manjula Chellur SIT Head)
19 अगस्त को कोर्ट ने पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी सुमन बाला साहू, सौमेन मित्र, रणवीर कुमार से मिलकर एसआईटी के गठन का आदेश दिया था। जितने भी अपराध चुनाव के बाद हुए थे जैसे हत्या, बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ जो भी अपराध हुए थे, ऐसे सभी मामलों की जांच के लिए ये गठन बनाया गया है।
शुक्रवार को राजेश बिंदल जो कार्यवाहिक मुख्य न्यायधीश है और न्यायमूर्ति आई.पी.मुखर्जी, न्यायमूर्ति सेन ,न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार ने ये घोषित किया कि न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर आदेश के अनुसार एसआईटी के काम पर ध्यान रखेगी। जांच के बारे में निर्देशों की निगरानी के लिए सब न्यायमूर्ति एकत्रित हुए थे।
महिलाओं की तकरार
इसी संबंधित पश्चिम बंगाल ने कलकत्ता के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी और कहा कि महिलाओं ने उच्च न्यायालय से महिलाओं के खिलाफ हत्या और बलात्कार के संबंधित मामलों की सीबीआई से जांच का निर्देश दिया है। इसके विरोध में पश्चिम बंगाल के उच्च न्यायालय ने कहा कि सीबीआई केंद्र के निर्णयों को मानती है और वो उन्ही के इशारों पर नाचती है और इसके साथ वे टीएमसी के पदाधिकारियों के खिलाफ जांच करने में व्यस्त हैं।