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Marital Rape Case Update: दिल्ली हाई कोर्ट में मैरिटल रेप को लेकर सुनवाई चल रही है। इस मामले को हाई कोर्ट ने सेण्टर से कहा है कि यह मैरिटल रेप मामले को ज्यादा दिन तक लटका कर नहीं रख सकते हैं इसलिए इसको लेकर नयी प्रतिक्रिया देना जरुरी है।
इस केस में जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी हरी शंकर ने सरकार को 10 दिन का समय दिया था। यह मामला 2015 से पेंडिंग पड़ा हुआ है। इस मामले को कोर्ट अब अर्जेंट मैटर में ले रहे हैं और जल्द जल्द से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। इंडिया में मैरिटल रेप को लेकर फ़िलहाल कोर्ट में सुनवाई हो रही है और इसके फायदे और नुकसान के बारे में बात की जा रही है। लेकिन क्या आपको लगता है कि यह कोई बहस का मुद्दा है। इसकी हियरिंग के दौरान जस्टिस राजीव शकधर ने कहा कि “जब इंडिया का लॉ एक सेक्स वर्कर को जबरजस्ती सेक्स से बचाता है तो फिर एक बीवी को क्यों नहीं?”
इस केस में एडवोकेट आभा सिंह ने भी अपनी बात रखी। यह महिला के अधिकार को लेकर भी काम करती हैं। इन्होंने कहा कि घरेलु हिंसा से महिला को बचाने के लिए कई लॉ बनाए गए हैं जैसे कि धारा 498 A यह एक महिला को किसी भी तरीके शारीरिक, आर्थिक और इमोशनल क्रूरता से बचाता है। इसके अलावा धारा 323 और 326 भी यह उनके लिए है जो आपको चोट पहुंचाते हैं।
आभा सिंह का कहना है कि मैरिटल रेप चार दीवारों के अंदर होता है और इसका कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं होता है। इस केस में सिर्फ एक बीवी की पति के खिलाफ गवाही होती है जो कि लीगली प्रूफ करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
एक महिला के लिए तब आवाज उठाना बहुत मुश्किल होता है जब रेप करने वाला उसका पति हो। अगर कोई महिला आवाज उठाती है तो उसे अक्सर समाज की और पैसों की मार झेलनी पड़ती है। आजकल डाइवोर्स केसेस बढ़ने का एक मात्रा कारण है महिलाओं को आवाज उठाना। पहले महिलाएं चुप चाप सब कुछ सेहती रहती थी इसलिए तब तलाक के मामले कम थे और रिश्ते कम टूटते थे।
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