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Photograph: (Subir Halder via India Today)
Medha Patkar Defamation Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक्टिविस्ट मेधा पाटकर को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे लेकिन शुक्रवार को हुई गिरफ्तारी से कुछ घंटे बाद ही रिहाई के आदेश दे दिए गए। इससे दो दिन पहले दिल्ली की एक अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दायर मानहानि का मुकदमा, जो वर्ष 2000 में शुरू हुआ था, इस गिरफ्तारी का कारण है।
Activist Medha Patkar की 24 साल पुराने मानहानि मामले में गिरफ्तारी के बाद रिहाई
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के लिए राहत भरी खबर है। ANI के अनुसार, "वीके सक्सेना बनाम मेधा पाटकर मानहानि मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकरको प्रोबेशन बांड प्रस्तुत करने और मुआवजा राशि जमा करने की शर्त पर रिहा करने का निर्देश दिया है।"
VK Saxena vs Medha Patkar defamation case | Delhi's Saket court directs to release social activist Medha Patkar, subject to furnishing of probation bond and depositing the compensation amount. pic.twitter.com/S1OiUrcyY0
— ANI (@ANI) April 25, 2025
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को उपराज्यपाल (एलजी) वी के सक्सेना द्वारा दायर मानहानि के मामले में दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने प्रोबेशन बांड जमा नहीं कराए थे। ANI के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना बनाम मेधा पाटकर मानहानि मामले में, दिल्ली पुलिस ने एक्टिविस्ट मेधा पाटकर को गिरफ्तार किया। साकेत कोर्ट ने 23 अप्रैल को उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया था। उन्हें आज साकेत कोर्ट में पेश किया जाएगा।
Delhi LG VK Saxena vs Medha Patkar defamation case | Activist Medha Patkar arrested by Delhi Police after Saket court issued a Non-Bailable warrant (NBW) against her on April 23. She will be presented before the Saket court today
— ANI (@ANI) April 25, 2025
आपको बता दें, उनके ऊपर 1 लाख जुर्माना और प्रोबेशन बॉन्ड जमा करवाने के अदालत की तरफ से निर्देश दिए गए थे लेकिन जब बुधवार को अदालत में सुनवाई हुई तो वह वहां उपस्थित नहीं थी और उन्होंने जुर्माना राशि का भी भुगतान नहीं किया।
साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज विशाल सिंह ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। कोर्ट ने कहा, "मेधा पाटकर जानबूझकर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही हैं। वे कोर्ट में पेश होने और अपनी सजा की शर्तों को स्वीकार करने से बच रही हैं। कोर्ट ने 08/04/2025 को सजा को निलंबित करने का कोई आदेश नहीं दिया है।"
जानिए पूरा मामला
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना बनाम मेधा पाटकर मानहानि मामला वर्ष 2000 में शुरू हुआ। उस समय उपराज्यपाल अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। उन्होंने मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करवाया था।
25 नवंबर, 2000 को पाटकर प्रेस नोट जारी किया था जिसका नाम "देशभक्त का असली चेहरा" था। 2001 में सक्सेना ने पाटेकर के खिलाफ प्रेस नोट के जरिए उन्हें बदनाम करने का मामला दर्ज कराया था।
जुलाई, 2024 में साकेत कोर्ट ने फैसला सुनाया जिसमें उन्होंने 5 महीने की सजा और 10 लख रुपए जुर्माना की सजा सुनाई। कोर्ट ने उन्हें प्रोबेशन का विकल्प भी दिया, जिसमें 1 लाख रुपये का बॉन्ड जमा करना था।
कौन हैं Activist Medha Patkar?
1954 में मुंबई में जन्मीं मेधा पाटकर भारत की सामाजिक कार्यकर्ता है। उनकी उम्र 70 साल है। "नर्मदा बचाओ आंदोलन" को शुरू करने में पाटकर संस्थापक सदस्य थीं। इसकी शुरुआत 1985 में हुई थी। इस आंदोलन की लड़ाई सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए थी जिसमें बहुत सारे लोग शामिल थे जैसे नर्मदा घाटी के आदिवासी, किसान, मछुआरे, मजदूर और वैज्ञानिक, कलाकार सहित बुद्धिजीवी आदि। मेधा पाटकर ने मास्टर डिग्री टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) से Social Work में हासिल की। उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है जैसे 1991 में राइट लाइवलीहुड अवॉर्ड और 1999 में गोल्डमैन एनवायरनमेंटल प्राइज आदि।