Meghalaya HC On Underpant Rape: 2006 का रेप केस जिसमे आरोपी ने प्ली भेजी, मेघालय डिवीज़न बेंच हाई कोर्ट ने उसपर फैसला सुनाया है। आरोपी ने प्ली में कहा उसने किसी प्रकार का पेनेट्रेशन नहीं किया, लड़की ने अंडरवियर पहना हुआ था। आईए जानते है इस पर कोर्ट ने क्या कहा और केस से जुड़ी अहम बातें-
Meghalaya HC On Underpant Rape: पूरा मामला क्या था?
केस सितम्बर 2006 में हुए माइनर में साथ रेप का है। सितम्बर 2006 में 10 साल को बची के साथ हुआ रेप जिसका मेडिकल एग्जामिनेशन अक्टूबर 2006 में हो गया था उसपर कोर्ट ने सुनवाई की। मेघालय डिवीज़न बेंच हाई कोर्ट ने कहा "रेप के दौरान पीड़िता को दर्द नहीं हुआ। इसका मतलब यह नहीं बलात्कार नहीं हुआ। रेप में दौरान पहना हुआ अंडरवियर यह प्रूफ नहीं करता है कि रेप नहीं हुआ है"।
मेडिकल एग्जामिनेशन करते दौरान पीड़िता को दर्द महसूस हुआ जो इस बात का प्रूफ है कि उसका रेप हुआ है। एग्जामिनेशन में दौरान लड़की का वाजिएना लाल था, हैमेन टूटा हुआ था और लड़की मेन्टल ट्रामा वे झूझ रही थी। मेडिकल एग्जामिनेशन को ध्यान में रखते हुए आरोपी को दोषी ठहराया गया।
आरोपी के खिलाफ जो याचिका दायर की गई थी उस याचिका में खिलाफ आरोपी ने प्ली जारी की , जिसमें आरोपी ने कहा था कि उसने पेनेट्रेशन नहीं की थी और इस प्रकार बलात्कार के लिए आईपीसी की धारा 376 की संतुष्ट नहीं होता है। इसलिए रेप नहीं हुआ है।
कोर्ट ने किस आधार पर फैसला किया?
पेनल कोड सेक्शन 375 (बी) में अनुसार योनि या urethra में किसी भी वस्तु या किसी तरह का इंसर्शन करना बलात्कार के समान होगा। यहां तक कि अगर यह स्वीकार कर लिया जाता है कि यहां आरोपी ने पीड़िता के vagina या urethra में अपना अंग जबरदस्ती से डाला है, भले उसने underpants व अंडरवियर पहने हो तब भी यह पेनल कोड की धारा 375 (बी) के अंडर आएगा।
वही दूसरी तरफ, पेनल कोड की धारा 375 (सी) के आधार पर, जब कोई व्यक्ति किसी महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में हेरफेर करता है, ताक, योनि या urethra में प्रवेश कर सके, तो यह एक्ट बलात्कार की श्रेणी में आएगा।