No Sir Or Madam In Kerala: टीचर्स को सर और मैडम कहकर बुलाना हमें अँगरेज़ सीखा कर गए थे। यह किसी ऐसे इंसान से कहा जाता है जो आपसे बड़ा हो या पावरफुल हो। यह दो जेंडर मेल और फीमेल के हिसाब से होती है और बाकि जेंडर इसके अंदर में नहीं आते हैं। केरल के एक स्कूल ने इसको हटाने का फैसला लिया है और अब सर और मैडम की जगह सिर्फ टीचर कहकर ही बुलाया जाएगा।
केरल के किस स्कूल ने लिया यह फैसला?
यह फैसला सभी जेंडर एक समान होते हैं यह दर्शाने के लिए लिया गया है। यह फैसला एक सीनियर बेसिक स्कूल का है जो कि एक सरकारी स्कूल है। स्कूल के हेडमास्टर V वेणुगोपालन ने बताया कि यह फैसला एक स्टाफ मेंबर के आईडिया को देखकर लिया गया है जिसका नाम संजीव कुमार है।
कुमार के इस सुझाव सुनने के बाद स्कूल ने सभी स्टाफ के साथ मीटिंग राखी और इसके बारे में बात की। इसके बाद इस बारे में पेरेंट्स से भी बात की गयी थी। इस फैसले को लेकर पेरेंट्स ने भी अपना पूरा सपोर्ट दिखाया था। इससे समझ आता है कि हम कैसे जेंडर से आगे बढ़कर बराबर हक़ के लिए सोच रहे हैं।
धीरे धीरे बच्चों की यह आदत बदल जाएगी। शुरू में इसको बदलने में थोड़ा वक़्त लगेगा क्योंकि बच्चों को शुरू से ही ऐसा सिखाया गया है कि किस तरीके से स्कूल में टीचर्स को बुलाना है और यह आज की नहीं कई साल पुरानी सालों साल से चली आ रही प्रथा है।
सर मैडम को और सभी को टीचर कहकर बुलाने के आईडिया किसका है?
इस स्कूल में 300 बच्चे हैं और 9 महिला टीचर्स और 8 पुरुष टीचर्स हैं। सबसे पहले इस पहल की शुरुवात सोशल एक्टिविस्ट बब्बन मत्तूमेंटः ने की थी। इसके बारे में एक मेमोरंडम सरकार को भी दिया गया है। मत्तूमेंटः के हिसाब से कांग्रेस के अंडर में आने वाली माथुर पंचायत पहली ऐसी पंचायत बनी जिस ने सभी को टीचर कहकर बुलाने वाले आईडिया को अपनाया और इसको लेकर बोर्ड भी लगाया था।
उसके हिसाब से माथुर पंचायत के फैसले ने ही स्कूल को यह ऐसा करने के लिए प्रेरित किया है। मत्तूमेंटः का कहना है कि इन्होंने कई महिला अफसर को सर कहते देखा है लेकिन किसी ट्रांसजेंडर को क्या कहकर बुलाया जाएगा इसको लेकर वो चिंतित थे।