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Odisha High Court Approves Termination of Pregnancy of Minor Rape Victim: उड़ीसा हाई कोर्ट की तरफ से 3 मार्च, 2025 को 13 वर्षीय रेप पीड़िता के मामले में फैसला सुनाया गया। हाई कोर्ट की तरफ से लड़की की 26 हफ्ते की प्रेगनेंसी को खत्म करने की इजाजत दी गई। यह लड़की 'सिकल सेल एनीमिया' और 'मिर्गी' जैसी गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित है। कोर्ट ने बच्ची के दिमाग और शरीर पर प्रेगनेंसी को असहनीय बोझ बताया और साथ ही को प्रेगनेंसी को बच्ची के जीवन और सेहत के लिए खतरा बताया।
13 वर्षीय रेप पीड़िता के मामले में उड़ीसा हाई कोर्ट ने 26 हफ्ते की प्रेगनेंसी को खत्म करने की दी अनुमति
3 मार्च, 2025 को, उड़ीसा हाई कोर्ट ने 13 वर्षीय रेप पीड़िता के 26 हफ्ते के प्रेगनेंसी को मेडिकल तरीके से खत्म करने की अनुमति दी। यह निर्णय तब आया जब अदालत ने माना कि प्रेगनेंसी को जारी रखने से नाबालिग की मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकती है।
यह फैसला जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही की सिंगल बेंच ने सुनाया। Live Law के अनुसार, उन्होंने कहा, “एक 13 वर्षीय लड़की को गर्भावस्था को पूर्ण अवधि तक ले जाने के लिए मजबूर करना उसके शरीर और मन पर असहनीय बोझ डालेगा, जिसके लिए वह न तो तैयार है और न ही वहन करने में सक्षम है। हालांकि गर्भपात जोखिम से रहित नहीं है, लेकिन यह उस उम्र में बच्चे के जन्म और जबरन माँ बनने के कहीं अधिक गंभीर परिणामों को रोकता है, जब ऐसी ज़िम्मेदारियाँ अकल्पनीय होती हैं।"
Can't Force 13-Yr-Old Rape Victim Into Motherhood: Orissa High Court Permits Termination Of 26 Weeks Pregnancyhttps://t.co/BvPY2OqSW6
— Live Law (@LiveLawIndia) March 4, 2025
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी ऐक्ट, 1971
लड़की की प्रेगनेंसी के बारे देरी से पता चला, लेकिन मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी ऐक्ट, 1971 ('MTP') के निर्धारित सीमा 24 सप्ताह है लेकिन इस मामले में प्रेगनेंसी सीमा को पार कर गई। इस इस एक्ट में कुछ खास मामलों में जैसे रेप पीड़ित और नाबालिग होने पर 24 हफ्ते की समय सीमा के बाद भी अबॉर्शन की इजाजत मिल सकती है।
बार-बार हुआ रेप
13 वर्षीय लड़की का जन्म 2011 में हुआ। वह 7वीं कक्षा की छात्रा है। वह कंधमाल की रहने वाली है और उसका संबंध अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से है। 2024 में लड़की के साथ बार-बार रेप होने का मामला सामने आया जब उसके पीरियड अनियमित होने लगे। इसके साथ ही पेट और बॉडी में दर्द की शिकायत होने लगी। इसके बाद बच्ची को डॉक्टर के पास लिजाया गया जहां पर पता चला की लड़की 6 महीने से ज्यादा प्रेग्नेंट है।इसके बाद FIR दर्ज करवाई गई। बच्ची की मेडिकल जांच हुई और मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया। लड़की के पिता ने हाई कोर्ट से बच्ची के गर्भपात की इजाजत मांगी थी ।