कामकाजी मां की चुनौती: दिल्ली भगदड़ के बाद ड्यूटी पर बच्चे के साथ दिखीं RPF कांस्टेबल

दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के बाद RPF कांस्टेबल रीना की वायरल तस्वीर ने कार्यस्थल पर माता-पिता के लिए बेहतर सुविधाओं की जरूरत को उजागर किया। जानिए इस घटना की पूरी कहानी।

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Vaishali Garg
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए दर्दनाक हादसे के बाद एक महिला RPF कांस्टेबल की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसमें वह अपने ड्यूटी के साथ-साथ अपने बच्चे की देखभाल भी करती नजर आ रही हैं। यह घटना कार्यस्थल पर माता-पिता के लिए बेहतर सुविधाओं की कमी को उजागर करती है।

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कामकाजी मां की चुनौती: दिल्ली भगदड़ के बाद ड्यूटी पर बच्चे के साथ दिखीं RPF कांस्टेबल

दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़: क्या हुआ था?

15 फरवरी, शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ इकट्ठा हुई थी। यह भीड़ महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रही थी। लेकिन रात करीब 9 बजे अचानक प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा ने यात्रियों के बीच अफरा-तफरी मचा दी।

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स्थिति इतनी बिगड़ गई कि भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना के बाद रेलवे प्रशासन हाई अलर्ट पर है और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है।

RPF कांस्टेबल रीना की दोहरी जिम्मेदारी

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इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें RPF कांस्टेबल रीना अपने एक वर्षीय बच्चे को सीने से बांधकर ड्यूटी करती नजर आईं। उनकी यह तस्वीरें जहां कई लोगों के लिए प्रेरणा बनीं, वहीं कुछ लोगों ने इस पर सवाल भी उठाए।

सोशल मीडिया पर मिली मिली-जुली प्रतिक्रिया

कई लोगों ने रीना के समर्पण की सराहना की, जबकि कुछ ने इसे बच्चे की सुरक्षा के लिहाज से गलत बताया।

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एक उपयोगकर्ता ने X (ट्विटर) पर लिखा: "अगर कोई झगड़ा हो जाए या किसी चोर के पीछे भागना पड़े, तो यह बच्चा कितना सुरक्षित रहेगा? क्या सरकारी और कॉरपोरेट सेक्टर के लिए समान मैटरनिटी लीव नियम नहीं होने चाहिए?"

वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने लिखा: "मातृत्व और कर्तव्य—कुछ तस्वीरें शब्दों की मोहताज नहीं होतीं। इस महिला कांस्टेबल को सलाम!"

क्या कहती हैं सरकारी नीतियां?

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भारत में कार्यरत महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश का प्रावधान है, लेकिन कामकाजी माताओं के लिए कार्यस्थल पर सुविधाओं की कमी अब भी एक बड़ी समस्या है।

सरकारी नियमों के अनुसार, महिलाओं को 26 हफ्तों का मातृत्व अवकाश मिलता है, लेकिन अधिकांश निजी कंपनियां इस अवधि को सीमित कर देती हैं।

कार्यस्थल पर चाइल्ड केयर सुविधाएं न होने के कारण कई महिलाएं मजबूरी में बच्चे को अपने साथ काम पर लाने के लिए विवश हो जाती हैं।

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पुलिस और सुरक्षाबलों जैसी नौकरियों में काम करने वाली महिलाओं के लिए यह चुनौती और अधिक बढ़ जाती है।

क्या इस घटना से सबक लिया जाएगा?

यह घटना भारत में कार्यरत माताओं के लिए एक बड़े सवाल को जन्म देती है, क्या हमारे कार्यस्थलों पर मातृत्व के प्रति पर्याप्त संवेदनशीलता है? सरकार और नियोक्ताओं को इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि कैसे कामकाजी माताओं के लिए अधिक समावेशी और सुरक्षित वातावरण तैयार किया जाए।

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रीना की यह तस्वीर सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि समाज के लिए एक सशक्त संदेश है कि महिलाओं के कर्तव्यों को समझने और उनके लिए बेहतर कार्यस्थल सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत है।

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