Samaira Hullur: भारत की सबसे कम उम्र की महिला कमर्शियल पायलट

18 साल की उम्र में समायरा हुल्लूर ने भारत की सबसे युवा महिला कमर्शियल पायलट बनने का गौरव हासिल किया। जानें उनके प्रेरणादायक सफर, कड़ी मेहनत और परिवार के समर्थन की कहानी।

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Vaishali Garg
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Samaira Hullur

Samaira Hullur: India’s Youngest Woman Commercial Pilot Making History: 18 साल की उम्र में कर्नाटक के विजयपुरा की रहने वाली समायरा हुल्लूर ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने भारत की सबसे युवा महिला कमर्शियल पायलट का खिताब हासिल किया है। समायरा ने विनोद यादव एविएशन एकेडमी (VYAA), नई दिल्ली और बाद में महाराष्ट्र के बारामती स्थित कार्वर एविएशन एकेडमी से ट्रेनिंग पूरी की। अपनी इस उपलब्धि के लिए उन्होंने 6 परीक्षाएं पास कीं और 200 घंटे से अधिक फ्लाइट टेस्ट किए।

समायरा हुल्लूर: भारत की सबसे कम उम्र की महिला कमर्शियल पायलट

उड़ान का सपना: समायरा की शुरुआत

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समायरा का उड़ान के प्रति जुनून तब शुरू हुआ, जब उन्होंने बीजापुर उत्सव में एक हेलीकॉप्टर राइड का आनंद लिया। उनके पिता अमीन, जो इंटीरियर डिजाइनर हैं, ने The Hindu को बताया, “हेलीकॉप्टर में हम पायलट के पास बैठे थे, और समायरा पायलट के अंदाज़ से प्रभावित हो गईं। उन्होंने उससे कई सवाल पूछे। उसी दिन उसने तय किया कि वह पायलट बनेगी।”

परिवार का समर्थन और समायरा की मेहनत

समायरा के माता-पिता ने उनके सपने को साकार करने के लिए पैसे बचाए और बेहतरीन एविएशन अकादमियों की तलाश की। समायरा ने सिर्फ 17 साल की उम्र में 6 में से 5 थ्योरी परीक्षाएं पास कर ली थीं। हालांकि, रेडियो ट्रांसमिशन तकनीक का पेपर देने के लिए उन्हें 18 साल का होना जरूरी था।

पायलट लाइसेंस हासिल करने के लिए समायरा को कम से कम 200 घंटे की उड़ान पूरी करनी पड़ी। समायरा अपनी सफलता का श्रेय कैप्टन तपेश कुमार और विनोद यादव को देती हैं, जिन्होंने उन्हें इस सफर में मार्गदर्शन दिया।

समायरा का परिवार और उनकी प्रेरणा

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समायरा की मां फैशन डिजाइनर और शिक्षक हैं। जब समायरा ने यह उपलब्धि हासिल की, तो उनके माता-पिता को पता चला कि वह भारत की सबसे युवा महिला कमर्शियल पायलट बन गई हैं।

समान कहानी: आयशा अज़ीज़ का प्रेरणादायक सफर

2016 में, जम्मू-कश्मीर की बारामुला से आयशा अज़ीज़ ने भारत की सबसे युवा और कश्मीर की पहली महिला पायलट बनकर इतिहास रचा। आयशा ने 16 साल की उम्र में पायलट लाइसेंस हासिल किया। आज वह मुंबई में रहती हैं और गो एयरलाइंस के लिए एयरबस 360 उड़ाती हैं।

समायरा और आयशा जैसी महिलाएं न सिर्फ नई ऊंचाइयों तक पहुंच रही हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

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समायरा हुल्लूर का यह सफर दिखाता है कि अगर सपने बड़े हों और उन्हें पूरा करने का जुनून हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। उनकी कहानी हर युवा को प्रेरित करती है कि आकाश ही नहीं, सपनों की उड़ान की भी कोई सीमा नहीं होती।