SBI New Pregnant Employees Rule: स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए कुछ नए रूल निकाले हैं। यह खास तौर पर उन महिलाओं के लिए हैं जो 3 महीने से ऊपर प्रेग्नेंट हैं। इनका कहना है कि 3 महीने से ऊपर की जो प्रेग्नेंट महिलाएं होती हैं वो काम करने के लिए फिट नहीं होती हैं, इसलिए इनको बच्चे की डिलीवरी के 4 महीने बाद ऑफिस ज्वाइन करना चाहिए।
इससे पहले प्रेग्नेंट महिलाओं को लेकर बैंक में क्या रूल थे?
इन नए रूल को लेकर कर्मचारी विरोध कर रहे हैं और उनको यह बिलकुल भी पसंद नहीं आये हैं। यह उन सभी लोगों पर लागु होगा जिनको अप्रैल 2022 में बैंक में नौकरी मिलेगी। इससे पहले बैंक ने 6 महीने प्रेग्नेंट महिलाओं को काम करने की अनुमति दी थी वो भी डॉक्टर का सर्टिफिकेट देखने के बाद की इस जॉब से महिला या फिर बच्चे की सेहत पर कोई उल्टा असर नहीं पड़ेगा।
राज्य सभा के MP बिनोय विस्वाम ने फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण को याचिका दी है जल्द से जल्द इस रूल को हटवाने की। इनका कहना है कि यह नया रूल महिलाओं के अधिकारों को नज़अंदाज़ करता है। इसके अलावा आल इंडिया स्टेट बैंक ऑफ़ इंडियन एम्प्लाइज एसोसिएशन ने भी SBI की मैनेजमेंट को यह प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए नए रूल हटाने को कहा है।
20 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना
एक महिला के लिए प्रेग्नेंट होने की सबसे सही उम्र तब होती है जब वह खुद को मानसिक, शारीरिक, फाइनेंशियली और भावनात्मक रूप से मैच्योर और तैयार माने। युवा आयु सीमा ज्यादातर महिलाओं के लिए परफेक्ट टाइम नहीं है, लेकिन इस उम्र में एक महिला सबसे फ्रटाइल होती है।
कुछ महिलाएं शारीरिक रूप से मां बनने के लिए त्यार होती हैं लेकिन मानसिक और भावनात्मक रूप से त्यार नहीं होती जिसके कारण वो प्रेग्नेंसी का ख्याल मन में नहीं लातीं। महिलाओं को ये ध्यान रखना चाहिए कि एक उम्र के बाद प्रेग्नेंट होने के चांसिस कम होने लगते हैं क्युकी कंसीव करने में दिक्कत आने लगती हैं।
30 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना
30 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना अक्सर महिलाओं की सेहत को प्रभावित कर सकता है क्योंंकि 30 की उम्र के बाद फर्टिलिटी कम होने लगती है जिसकी वजह से रिस्क बढ़ जाता है। एंडोमेट्रियोसिस और ट्युबल डिजीज के कारण भी फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उम्र के साथ महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स बढ़ने लगता है जिसकी वजह से प्रेगनेंसी में समस्या आ सकती हैं। इसके अलावा धूम्रपान, रेडिएशन, और कीमो थेरेपी भी फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचाते हैं।