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Same Sex Marriage पर SC ने सुनाया फैसला नहीं दी क़ानूनी मान्यता

सप्रीम कोर्ट के तरफ़ से सेम सेक्स मैरिज को लीगल घोषित नहीं किया गया। कोर्ट की तरफ़ से कहा गया सेम सेक्स मैरिज को लीगल करना हमारे हाथ में नहीं है। यह काम विधानसभा और संसद का है। 

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Rajveer Kaur
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LGBTQ+ Community (Image Credit: Unsplash)

SC Refuse To Give Legalize Same Sex Marriage (Image Credit:- UnSplash)

SC Refuse To Give Legalize Same Sex Marriage: आज सप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज पर जजमेंट आ गया है। इस जजमेंट में पाँच जज शामिल हुए थे- चीफ़ जस्टिस ओफ़ इंडिया डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा।  

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Same Sex Marriage पर सुप्रीम कोर्ट ने  सुनाया फैसला नहीं दी क़ानूनी मान्यता 

सप्रीम कोर्ट के तरफ़ से सेम सेक्स मैरिज को लीगल घोषित नहीं किया गया। कोर्ट की तरफ़ से कहा गया सेम सेक्स मैरिज को लीगल करना हमारे हाथ में नहीं है। यह काम विधानसभा और सांसद का है। 

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बच्चा गोद लेने पर 5 में से 3 जजों ने ने नहीं कहा है।  CJI का कहना है एलजीबीटीक्यू+ कपलबच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं है। इस बात का समर्थन जस्टिस कौल ने भी किया। 

चीफ़ जस्टिस डीवाई ने कहा LGBTQ+ लोगों के पास पार्ट्नर चुनने का अधिकार है।

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सीजेआई ने कहा होमोंसेक्शूऐलिटी कोई अर्बन या इलीट कॉन्सेप्ट जो अब सिर्फ़ समाज के हाई क्लास तक सीमित नहीं है। यह कोई भी हो सकता है गाँव में खेती करने वाली महिला भी। क्वीरनेस किसी की जाति या वर्ग या सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना हो सकती है। 

ट्रांसजेंडर्स की शादी की बात पर सभी जजों की तरफ़ से सहमति है। अगर ट्रांस व्यक्ति हेट्रोसेक्शुअल व्यक्ति के साथ रिलेशन में है ऐसा विवाह स्वीकार्य है। इसी तरह ट्रांसमैन और ट्रांसवुमन की शादी को भी स्पेशल मैरिज ऐक्ट के तहत शादी कर सकते हैं। 

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सुनवाई के समय याचिकाकर्ताओं ने कहा था अगर सेम सेक्स मैरिज के अधिकार ना मिलने कि कारण हमें और भी अधिकार नहीं मिलेंगे जैसे ज़ोईनट बैंक खाता, पेन्श आदि कोई सुविधा नहीं मिलेगी।चीफ़ जस्टिस और जस्टिस कौल ने कहा कि यह सरकार का फ़र्ज़ है जो अधिकार एक हेट्रोसेक्सशुअल कपल को मिलते है वो एलजीबीटीक्यू कपल को मिलने चाहिए लेकिन इस बात से जस्टिस भट्ट ने असहमति जिताई लेकिन सप्रीम कोर्ट की तरफ़ से समलैंगिकों के अधिकारों के लिए एक केंद्र सरकार की तरफ़ से कमेटी तैयार की जाए। इस कमेटी के द्वारा समलैंगिक कपल को राशन कार्ड, बैंक खातों, पेंशन, ग्रेच्यूटी आदि में शामिल करने के लिए विचार किया जाएगा। सप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा यह हो कमेटी बनाई इसका काम सिर्फ़ एलजीबीटीक्यू कपल की परेशानियों को जानना है लेकिन उनकी शादी में मान्यता में दख़ल देना नहीं है।

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