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तीरथ सिंह रावत ने मंगलवार को कहा कि अगर महिलाएं रिप्ड जींस पहनती है तो यह समाज को तोड़ने का मार्ग प्रशस्त करता है और यह बच्चों के लिए "बुरा एग्जाम्पल" सेट करता है। तीरथ सिंह रावत रिप्ड जींस
यह कहने के अलावा कि अगर माता-पिता अपने बच्चों को रिप्ड जींस पहनने की अनुमति देते हैं, तो यह अब्यूसड सब्सटांस के सेवन की और बढ़ावा दे सकता है, उत्तराखंड स्टेट कमीशन द्वारा चाइल्ड प्रोटेक्शन के लिए देहरादून में आयोजित टू-डे वर्कशॉप में अपनी यात्रा के दौरान, रावत ने यह भी कहा कि वह एक महिला से मिलकर चौंक गए, जो एक एनजीओ चलती है और उन्होंने रिप्ड जींस पहनी थी। “अगर इस तरह की महिलाएं लोगों से मिलने और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए समाज में जाती है, तो हम अपने बच्चों को, समाज को किस तरह का संदेश दे रहे हैं? यह सब घर पर शुरू होता है। रावत ने कहा कि हम जो करते हैं, हमारे बच्चे उसी से सीखते हैं। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, "एक बच्चा जिसे घर पर सही संस्कृति सिखाई जाती है, वह चाहे कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए, जीवन में कभी असफल नहीं होगा।"
अब्यूज़ सब्सटांस के सेवन के विषय पर आगे बात करते हुए उन्होंने कहा, “कैंची से संस्कार (कल्चर बी सीज़्ज़र्स) - नंगे घुटने दिखाना, चीर फाड़ की हुई डेनिम पहनना और अमीर बच्चों की तरह दिखना - ये अब दिए जा रहे संस्कार हैं। यह कहां से आ रहे है, अगर घर से नहीं है तो ? शिक्षकों या स्कूलों का क्या दोष है? मैं अपने बेटे को कहाँ ले जा रहा हूँ, अपने घुटनों को दिखाते हुए और जीन्स में? लड़कियां भी किसी से कम नहीं, अपने घुटने दिखा रही हैं। क्या यह अच्छा है?"
इसे "वेस्टर्नाइज़ेशन की क्रेजी रेस" बताते हुए रावत ने आगे कहा, "जबकि पश्चिमी दुनिया हमे फॉलो कर ताहि है, योग कर रही है ... अपने शरीर को ठीक से कवर कर रही है। और हम न्यूडिटी की ओर भाग रहे हैं। ” तीरथ सिंह रावत रिप्ड जींस
यह कहने के अलावा कि अगर माता-पिता अपने बच्चों को रिप्ड जींस पहनने की अनुमति देते हैं, तो यह अब्यूसड सब्सटांस के सेवन की और बढ़ावा दे सकता है, उत्तराखंड स्टेट कमीशन द्वारा चाइल्ड प्रोटेक्शन के लिए देहरादून में आयोजित टू-डे वर्कशॉप में अपनी यात्रा के दौरान, रावत ने यह भी कहा कि वह एक महिला से मिलकर चौंक गए, जो एक एनजीओ चलती है और उन्होंने रिप्ड जींस पहनी थी। “अगर इस तरह की महिलाएं लोगों से मिलने और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए समाज में जाती है, तो हम अपने बच्चों को, समाज को किस तरह का संदेश दे रहे हैं? यह सब घर पर शुरू होता है। रावत ने कहा कि हम जो करते हैं, हमारे बच्चे उसी से सीखते हैं। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, "एक बच्चा जिसे घर पर सही संस्कृति सिखाई जाती है, वह चाहे कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए, जीवन में कभी असफल नहीं होगा।"
अब्यूज़ सब्सटांस के सेवन के विषय पर आगे बात करते हुए उन्होंने कहा, “कैंची से संस्कार (कल्चर बी सीज़्ज़र्स) - नंगे घुटने दिखाना, चीर फाड़ की हुई डेनिम पहनना और अमीर बच्चों की तरह दिखना - ये अब दिए जा रहे संस्कार हैं। यह कहां से आ रहे है, अगर घर से नहीं है तो ? शिक्षकों या स्कूलों का क्या दोष है? मैं अपने बेटे को कहाँ ले जा रहा हूँ, अपने घुटनों को दिखाते हुए और जीन्स में? लड़कियां भी किसी से कम नहीं, अपने घुटने दिखा रही हैं। क्या यह अच्छा है?"
इसे "वेस्टर्नाइज़ेशन की क्रेजी रेस" बताते हुए रावत ने आगे कहा, "जबकि पश्चिमी दुनिया हमे फॉलो कर ताहि है, योग कर रही है ... अपने शरीर को ठीक से कवर कर रही है। और हम न्यूडिटी की ओर भाग रहे हैं। ” तीरथ सिंह रावत रिप्ड जींस