जयपुर में कलयुगी बेटे ने चांदी के कड़े के लिए रोका माँ का अंतिम संस्कार

ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जहां एक बेटे ने चांदी के कड़ों के लिए अपनी मां के अंतिम संस्कार को ही रोक दिया। आइए, इस घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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Rajveer Kaur
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Son Halts Funeral Of Mother Over Silver Bangles in Shocking Jaipur Incident

Photograph: (X) NDTV

Son Halts Funeral Of Mother Over Silver Bangles in Shocking Jaipur Incident: हर इंसान के लिए मां का रिश्ता सबसे खास और अनमोल होता है। इस रिश्ते की तुलना किसी अन्य से नहीं की जा सकती। मां का इस दुनिया से चले जाना किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे दुखद और मुश्किल पल होता है। लेकिन आज के कलयुगी दौर में मां और बच्चों के बीच का रिश्ता पहले जैसा गहरा नहीं रहा। इस पवित्र रिश्ते की जगह अब स्वार्थ और पैसे ने ले ली है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जहां एक बेटे ने चांदी के कड़ों के लिए अपनी मां के अंतिम संस्कार को ही रोक दिया। आइए, इस घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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जयपुर में कलयुगी बेटे ने चांदी के कड़े के लिए रोका माँ का अंतिम संस्कार

यह हैरान करने वाली घटना राजस्थान के जयपुर जिले के विराटनगर क्षेत्र से सामने आई है। 3 मई को 80 वर्षीय शीतल रेगर का निधन हो गया। इसके बाद उनके शव को परिवार और रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया। वहां अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो गईं, लेकिन तभी मृतका के छोटे बेटे ओमप्रकाश ने बखेड़ा खड़ा कर दिया। 

परिवार के बड़े-बुजुर्गों ने रीति-रिवाज के अनुसार, मां के शव को चिता पर रखने से पहले उनके आभूषण उतारकर सबसे बड़े बेटे गिरधारी लाल को सौंप दिए, जिन्होंने उनकी अंतिम समय तक देखभाल की थी। लेकिन इस बात से छोटा बेटा ओमप्रकाश नाराज हो गया। उसने मां के चांदी के कड़ों की मांग की और इसके लिए श्मशान घाट पर ही चिता पर लेट गया, जिससे अंतिम संस्कार की प्रक्रिया रुक गई। 

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कड़े मिलने पर अंतिम संस्कार होने दिया

ओमप्रकाश ने साफ कह दिया कि जब तक उसे चांदी के कड़े नहीं दिए जाएंगे, वह अंतिम संस्कार नहीं होने देगा। इस हरकत से वहां मौजूद रिश्तेदार, ग्रामीण और परिवार वाले चौंक गए। गांव के लोगों और बुजुर्गों ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा रहा। करीब दो घंटे तक यह ड्रामा चलता रहा। आखिरकार, परिवार वालों को मजबूरन घर से चांदी के कड़े मंगवाने पड़े और उन्हें श्मशान घाट पर ही ओमप्रकाश को सौंपा गया। इसके बाद ही वह चिता से हटा और माँ का अंतिम संस्कार हो सका।