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Story of Rajasthan Milkman: राजस्थान के दूध बेंचने वाले 19 महीने में 20,000 से ज्यादा पैड बाटें
यह रोजाना 100 किलोमीटर ट्रेवल किया करते हैं और छोटी छोटी जगह पर जाते हैं जहाँ लड़कियों को पैड नहीं मिल पाते हैं। कई ऐसी लडकियां होती है जो कि पीरियड होने की उम्र तक पहुंच चुकी होती हैं और पैड न होने के कारण से उन्हें बहुत कुछ झेलना पड़ता है। इस में सबसे बड़ा नुकसान जो होता है वो है पढाई का। कई लडकियां पीरियड आने के बाद स्कूल जाना छोड़ देती हैं।
सथुर क्यों फ्री में पैड बांटते हैं?
इस शख्स का नाम है सुथर और यह 33 साल के हैं और यह हनुमानगढ़ गांव से हैं। इनका मिशन है लड़कियों तक पैड पहुंचना ताकि वो स्कूल जाना बंद न करें, एक लड़की ने बताया भी इनको समय पर पैड मिलने के कारण से इनकी स्कूल में छुट्टी बहुत कम हो गयी हैं।
इसके अलावा गाँव में लडकियां कपड़े का इस्तेमाल भी करती हैं जो कि सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। सथुर का कहना है कि इनकी फैमिली भी इनको सपोर्ट करती है और धीरे धीरे लोग भी इनको सपोर्ट करने लगे हैं।
अब सवाल यह आता है कि एक इंसान इतने सारे पैड अकेले कैसे मैनेज कर सकता है। तब सथुर ने बताया कि धीरे धीरे सोशल मीडिया से लोगों को इनके इस नेक कमा के बारे में मालूम हुआ और वो भी इनको ऑर्डर्स भेजने लगे हैं। इन्होंने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि जो लोग ऑनलाइन पैसे देकर पैड मंगवाना चाहते हैं वो भी मंगवा सकते हैं और जो जरुरतमंद लोग होते हैं उनसे यह पैसे नहीं लेते हैं।