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Article 370 अस्थाई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट, जानिए सभी डिटेल्स

2019 में मोदी सरकार द्वारा आर्टिकल 370 को जम्मू कश्मीर में खत्म कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने आर्टिकल 370 को अस्थाई प्रावधान बताया। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से 370 को हटाने के इस संवैधानिक आदेश को सही बताया है।

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Rajveer Kaur
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article 370 (the dispatch)

article 370 (the dispatch)

Supreme Court Said Article 370 Is Temporary Provision: 2019 में मोदी सरकार द्वारा आर्टिकल 370 को जम्मू कश्मीर में खत्म कर दिया गया था। अब उस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने आर्टिकल 370 को अस्थाई प्रावधान बताया। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से 370 के को हटाने के इस संवैधानिक आदेश को सही बताया है।

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पांच जजों की संवैधानिक बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। 16 दिन तक चली यह सुनवाई 5 दिसंबर को समाप्त हुई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस फैसले को सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में पूरी 23 याचिकाएं दर्ज की गई थी। 

Article 370 अस्थाई प्रावधान: सुप्रीम कोर्ट, जानिए सभी डिटेल्स

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2024 में विधानसभा चुनाव

कोर्ट ने कहा है कि 370 को निरस्त करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा दिए गए आदेश बिल्कुल सही है। इसके साथ ही कोर्ट की तरफ से इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया को 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर विधानसभा में चुनाव कराने के आदेश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा केंद्र के द्वारा लिए गए हर फैसले को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे अराजकता फैल सकती है। 

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तीन जजों की जजमेंट

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि जजमेंट तीन जजों की तरफ से लिए गए हैं। पहला फैसला चीफ जस्टिस, जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत की तरफ से हैं। दूसरा फैसला जस्टिस कौल का है। जस्टिस खन्ना ने दोनों फैसलों पर सहमति दिखाई।

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एसिमिट्रिक फेडरेलिज्म (Asymmetric Federalism)

कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के स्टेटस पर कहा कि सभी राज्यों के पास लेजिसलेटिव और एग्जीक्यूटिव पावर है। यह अलग-अलग दर्जे की हैं। आर्टिकल 371A  से 371J के इन सभी अलग-अलग राज्यों में जो स्पेशल अरेंजमेंट्स है उसकी उदाहरण है। यह हमारे देश में 'एसिमिट्रिक फेडरेलिज्म' दिखाता हैं। इसके आगे बताया, आर्टिकल 370 एसिमिट्रिकल फेडरेलिज्म का फीचर है सॉवरेन्टी का नहीं, जिसका मतलब है कि जम्मू कश्मीर के पास कोई भी 'इंटरनल सॉवरेन्टी' नहीं है। भारतीय संविधान के सभी प्रोविजन जम्मू कश्मीर पर भी लागू होते हैं और जल्द ही जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा भी मिल जाएगा। 

संविधान सभा

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जम्मू कश्मीर की संविधान सभा पर कोर्ट में यह कहा गया उसे परमानेंट बॉडी नहीं बनाया जाएगा। इसके साथ ही आर्टिकल 370 का अस्तित्व भी खत्म हो चुका है। 

क्या था यह पूरा मामला

मोदी सरकार द्वारा 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से संबंध रखने वाले आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया। जिसके बाद देशभर में विवाद शुरू हो गया।  2019 अगस्त, 'जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम विधेयक' को गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से लोकसभा और राज्यसभा में इसे पेश किया गया और दोनों ही जगह बिल पास हो गया। इसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई। जिसके बाद जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य मानने से इनकार कर दिया और अनुच्छेद 370 के सभी क्लॉज़ खत्म कर दिए। इसके बाद जम्मू कश्मीर में सिर्फ एक ही क्लॉज़ रहेगा जिसके अनुसार जम्मू कश्मीर में अब भारतीय संविधान चलेगा। 

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इसके बाद इस फैसले पर कोर्ट में कुल 23 याचिकाएं दर्ज की गई गई थी। उसके बाद तीन चीजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की और इसे संविधान बेंच के पास भेजने का फैसला किया। मार्च 2020 में सात जजो की संवैधानिक बेंच के पास इस मामले को भेजने से मना कर दिया गया। 2 साल बाद 3 जुलाई 2023 को 370 हटाने के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नै संविधान बेंच बनाई गई जिसके अध्यक्ष चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ थे। इसके बाद फैसले पर सुनवाई शुरू की गई। 

जानिए प्रधानमंत्री ने इस फैसले पर क्या कहा 

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