Telangana Tunnel Collapse मामले में बचाव दल सुरंग के अंत तक पहुंचने में कामयाब

22 फरवरी की सुबह 8:30 के करीब निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। इस दौरन 60 लोग अंदर काम कर रहे थे लेकिन 8 आठ लोग अंदर ही फंसे रह गए। इनमें मजदूरों के साथ इंजीनियर भी हैं।

author-image
Rajveer Kaur
एडिट
New Update
Telangana Tunnel Collapse

Photograph: (ANI)

Telangana Tunnel Collapse Rescue Operations Underway: हैदराबाद से 132 किमी दूर नागरकुरनूल में दुनिया की सबसे लंबी पानी की टनल बन रही है जिसकी लंबाई तकरीबन 42 किमी है। इस टनल में अब एक हादसा हो गया है। 22 फरवरी, 2025 को निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया जिसमें 8 कर्मचारी फंसे हुए हैं। उन्हें बचाने का काम चल रहा है लेकिन उनके साथ संपर्क नहीं हो पा रहा है। इस घटना में एक महत्वपूर्ण अपडेट यह आई है कि 20 लोगों की टीम टनल के अंत तक पहुंचने में सफल हो गई है। चलिए पूरी घटना जनता हैं-

Advertisment

Telangana Tunnel Collapse मामले में बचाव दल सुरंग के अंत तक पहुंचने में कामयाब

PB Shabd के अनुसार, " तेलंगाना के एसएलबीसी सुरंग ढहने की घटना में बचाव दल ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, 5 दिनों के बाद सुरंग के अंत तक पहुँच गए हैं। पानी के बहाव और मलबे जैसी चुनौतियों के बावजूद, अधिकारी फंसे हुए 8 श्रमिकों का पता लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं"

Advertisment

उत्तराखंड सुरंग ढहने के बाद मजदूरों को बचाने वाली टीम के एक रैट माइनर मुन्ना कुरैशी कहते हैं, "हमारी टीम ने उत्तरकाशी में 41 मजदूरों को बचाया...हमें यहां भी बचाव अभियान चलाना है। थोड़ी मुश्किल है, लेकिन हम समस्या का समाधान करेंगे और आपको परिणाम देंगे...यहां स्थिति गंभीर है। यह एक बड़ा मिशन है...कलेक्टर सभी मजदूरों को बचाने के लिए कह रहे हैं। हम यहां कुल 12 चूहा खनिक हैं।"

इस घटना के 5 दिन बीत जाने के बाद भी कर्मचारियों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। अभी रैट माइनर्स की टीमें राहत कार्य में जुटी हुई हैं। इसके साथ ही ड्रिलिंग के लिए जियोलॉजिकल टीम को दिल्ली से बुलाया जा रहा है। बचाव दल टनल के अंत तक पहुंच गए हैं लेकिन कीचड़ और मलबे से रास्ता पूरी तरह भरा हुआ है जो बचाव दल के लोगों के जीवन के लिए जोखिम भरा हो सकता है।

Advertisment

22 फरवरी की सुबह 8:30 के करीब निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। इस दौरन 60 लोग अंदर काम कर रहे थे लेकिन 8 आठ लोग अंदर ही फंसे रह गए। इनमें मजदूरों के साथ इंजीनियर भी हैं। भारतीय सेना, नौसेना (MARCOS गोताखोरों सहित), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) सुरंग बचाव के विशेषज्ञों सहित बचाव प्रयास जारी हैं। 

PTI के अनुसार "एनडीआरएफ, एसडीआरएफ बचाव दल ने भारी कीचड़ के कारण अभियान रोक दिया। उनके अथक प्रयासों के बावजूद, बचाव अभियान में अब तक कोई सफलता नहीं मिली है, क्योंकि टीमों को सुरंग में दुर्घटना स्थल तक पहुँचने के लिए मोटी कीचड़, उलझी हुई लोहे की छड़ों और सीमेंट के ब्लॉकों से होकर गुजरना पड़ा।

Advertisment

संकीर्ण-स्थान बचाव में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाने वाले रैट माइनर्स की 6 टीमें भी ऑपरेशन में शामिल हुई हैं। 31 अक्टूबर को उत्तरकाशी सुरंग ढहने की घटना के बाद सफल बचाव अभियान का हिस्सा रहे रैट माइनर्स, श्रीशैलम लेफ्ट बैंक नहर ढहने की घटना के बाद चल रहे बचाव अभियान के लिए नागरकुरनूल पहुंचे। रैट माइनर फिरोज कुरैशी कहते हैं, "मैं दिल्ली से आया हूं, हमारी पूरी टीम दिल्ली से आई है, कलेक्टर ने हमें यहां बुलाया है। हम 6 लोग यहां आए हैं और 6 और लोग आएंगे, हम 12 लोगों की टीम हैं। उत्तराखंड में हमने 41 मजदूरों को बचाया था...अभी तक हमें ज्यादा जानकारी नहीं मिली है। अभी तक हमें बताया गया है कि हमें एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीमों के साथ जाना होगा। जब तक हम वहां की स्थिति नहीं देख लेते, तब तक कुछ कहना मुश्किल होगा।

एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरे भी यहां लाए गए हैं। ऑपरेशन में मदद के लिए एनडीआरएफ डॉग स्क्वॉड को भी तैनात किया गया है।

Advertisment

तेलंगाना के मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने कहा है कि बचने की संभावना "बहुत कम" है, उनका अनुमान है कि मलबे को साफ करने में तीन से चार दिन लग सकते हैं।

Advertisment

मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी व्यक्तिगत रूप से इस अभियान की देखरेख कर रहे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी जैसे राष्ट्रीय नेताओं का समर्थन भी शामिल है।

telangana