भारतीय मूल की वैज्ञानिक टेरेसा पुथुसेरी को रेटिनल रिसर्च के लिए मिला 2025 का ‘मैकआर्थर जीनियस ग्रांट’

ऑस्ट्रेलिया में जन्मी भारतीय मूल की वैज्ञानिक टेरेसा पुथुसेरी को 2025 का मैकआर्थर ‘जीनियस’ ग्रांट उनके रेटिनल विज़न सेल्स (आंखों की रेटिना में मौजूद दृष्टि कोशिकाओं) पर किए गए क्रांतिकारी शोध के लिए मिला है।

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Rajveer Kaur
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Teresa Puthussery From Optometrist to Vision Scientist

Photograph: (John D. and Catherine T. MacArthur Foundation)

कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले की ऑप्टोमेट्रिस्ट से न्यूरोसाइंटिस्ट बनीं टेरेसा पुथुसेरी को 2025 मैकआर्थर फेलोशिप के लिए चुना गया है जिसे अक्सर ‘जीनियस ग्रांट’ कहा जाता है। यह प्रतिष्ठित फेलोशिप जॉन डी. और कैथरीन टी. मैकआर्थर फ़ाउंडेशन द्वारा हर साल उन व्यक्तियों को दी जाती है जिन्होंने अपने क्षेत्र में असाधारण रचनात्मकता और क्षमता दिखाई है।

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भारतीय मूल की वैज्ञानिक टेरेसा पुथुसेरी को रेटिनल रिसर्च के लिए मिला 2025 का ‘मैकआर्थर जीनियस ग्रांट’

विज़न रिसर्च के लिए मैकआर्थर फेलोशिप

यूसी बर्कले के हर्बर्ट वर्टहाइम स्कूल ऑफ ऑप्टोमेट्री एंड विज़न साइंस में एसोसिएट प्रोफेसर टेरेसा पुथुसेरी को अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए $800,000 (करीब ₹6.6 करोड़) की बिना शर्त अनुदान राशि दी जाएगी। उन्हें रेटिना किस तरह दृश्य जानकारी को प्रोसेस करती है, इस पर किए गए उनके क्रांतिकारी शोध के लिए सम्मानित किया गया है। यह काम दृष्टि हानि (vision loss) की समझ और उपचार में नया बदलाव ला सकता है।

उनकी लैब रेटिना की जटिल कोशिका संरचना को समझने पर केंद्रित है, खासकर गैंग्लियन कोशिकाओं (ganglion cells) पर, जो आंख से मस्तिष्क तक दृश्य संकेत भेजती हैं। उनके प्रमुख शोध निष्कर्षों में से एक में एक दुर्लभ प्रकार की गैंग्लियन कोशिकाओं की पहचान शामिल है, जो हमारी नज़र को स्थिर रखने में मदद करती हैं जिससे हम आंखों के हिलने पर भी स्पष्ट देख पाते हैं।

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उनकी टीम यह भी अध्ययन कर रही है कि अन्य कोशिका प्रकार गति की पहचान (motion detection) और परिधीय दृष्टि (peripheral vision) में कैसे योगदान देते हैं।

स्टेम सेल्स से दृष्टि बहाली की दिशा में कदम

अपने मुख्य शोध के अलावा, टेरेसा पुथुसेरी एक बहु-विश्वविद्यालयीय परियोजना का हिस्सा हैं, जिसका लक्ष्य स्टेम सेल्स से प्रकाश-संवेदनशील फोटोरिसेप्टर कोशिकाएँ बनाकर उन्हें क्षतिग्रस्त रेटिना में प्रत्यारोपित कर दृष्टि बहाल करना है। यह शोध रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा और एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन जैसी बीमारियों में दृष्टि सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

दृष्टि हानि से प्रेरित होकर बनीं न्यूरोसाइंटिस्ट

टेरेसा पुथुसेरी ने अपना करियर ऑस्ट्रेलिया में ऑप्टोमेट्रिस्ट के रूप में शुरू किया था, लेकिन दृष्टि खो चुके मरीजों के अनुभवों ने उन्हें न्यूरोसाइंस की ओर मोड़ दिया। वह बताती हैं कि रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा से पीड़ित एक युवा मरीज से हुई मुलाकात ने उन पर गहरा प्रभाव डाला जिसने उन्हें ऐसा वैज्ञानिक शोध करने के लिए प्रेरित किया जो एक दिन अंधेपन को रोकने में मदद कर सके।

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मैकआर्थर फेलोशिप के साथ, पुथुसेरी अपनी लैब के काम को आगे बढ़ाने की योजना बना रही हैं जिसमें दृष्टि की कोशिकीय प्रक्रियाओं की गहराई से समझ, दृश्य जानकारी के एन्कोडिंग के तरीकों का अध्ययन, और दृष्टि को संरक्षित व पुनर्स्थापित करने के नए रास्तों की खोज शामिल है।