इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जताया कड़ा इतराज

सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के बलात्कार के फैसले पर प्रतिक्रिया दी गई और उस पर रोक लगाने का आदेश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस आदेश का स्वत: संज्ञान लिया गया और इस फैसले में संवेदनशीलता की कमी को उजागर किया।

author-image
Rajveer Kaur
New Update
Court (Freepik)

The Supreme Court stays this Allahabad HC Ruling: सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के बलात्कार के फैसले पर प्रतिक्रिया दी गई और उस पर रोक लगाने का आदेश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस आदेश का स्वत: संज्ञान लिया गया और इस फैसले में संवेदनशीलता की कमी को उजागर किया। आपको बता दें, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादास्पद फैसला लिया था जिसे लेकर देशभर में भारी आक्रोश देखा गया था।

Advertisment

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जताया कड़ा इतराज

इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 17 मार्च को विवादित फैसला सुनाया गया था जिसमें किसी नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का अपराध नहीं माना जा सकता। 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने 26 मार्च 2025 को इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया और इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को "असंवेदनशील और अमानवीय" करार देते हुए इसे रोक दिया गया। यह फैसला जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने लिया। इस आदेश को लेकर लोगों में काफी आक्रोश था। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले से अपनी सख्त असहमति जताई। बेंच ने हाईकोर्ट का फैसले को "चौंकाने वाला" कहा। 

Advertisment

Live Law के अनुसार, बेंच ने आदेश में कहा, "हमें यह कहते हुए कष्ट हो रहा है कि आरोपित निर्णय में की गई कुछ टिप्पणियां, विशेषकर पैरा 21, 24 और 26, निर्णय के लेखक की ओर से संवेदनशीलता की पूर्ण कमी को दर्शाती हैं।"

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि यह फैसला तुरंत नहीं दिया गया था बल्कि चार महीने तक विचार करने के बाद सुनाया गया था, जिससे यह साफ होता है कि इसमें जज ने सोच-विचार किया था, फिर भी यह असंवेदनशील रहा।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को इस मामले में उचित कदम उठाने का निर्देश दिया। इसके साथ केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और आरोपियों को नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी। 

Advertisment

क्यों लिया गया स्वत: संज्ञान?

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह स्वत: संज्ञान We the Women of India नाम की NGO की तरफ से भेजे गए पत्र के आधार पर लिया गया जो एडवोकेट शोभा गुप्ता द्वारा भेजा गया।

पूरा मामला 

Advertisment

इलाहाबाद हाई कोर्ट में यह सुनवाई एक मामले के ऊपर ली गई थी जिसमें 14 वर्षीय नाबालिग बेटी अपने घर से वापस आ रही थी। इस दौरान कुछ लोगों ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। ऐसे मौके पर जब आसपास के लोग वहां पहुंच गए तो वह फ़रार हो गए। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और इलाहाबाद कोर्ट की तरफ से 17 मार्च को इस फैसले को लेकर सुनवाई की गई।

Supreme Court of India