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अमरजीत किन्नर जो कि बोक्रो से हैं उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर न तो पुरुष और न ही महिला के साथ कॉफ़र्टेबल महसूस करते हैं। इसलिए उनके इलाज के लिए अलग से व्यवस्थाएं करना चाहिए। इन्होंने बताया कि जितने भी ट्रांसजेंडर दूसरे स्टेट्स से यहां झारखण्ड में आए हैं उनको महिलाओं के साथ रखा गया है जिस से कि वो परेशान हैं।
किन्नेर को भी है बेसिक राइट्स का हक़
किन्नर ने यह भी कहा कि सरकार को अस्पतालों में उनके लिए अलग से व्यवस्था करनी चाहिए। यह कोरोना की स्थिति सिस और ट्रांस लोगों के लिए समान रूप से खतरनाक है, और उन सभी को बेसिक सुविधाएं पहुंचनी चाहिए। किन्नर ने कहा कि झारखण्ड के अस्पतालों में कभी भी किन्नरों के लिए अलग से वार्ड और बेड की व्यवस्था नहीं की गयी है। कुछ पड़ोसी राज्यों में ट्रांसजेंडरों के लिए बेड की अलग व्यवस्था की गई है, लेकिन झारखंड में ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
क्या पश्चिम बंगाल सरकार ने की थी व्यवस्थाएं ?
हालांकि, ऐसे कई राज्य हैं जिन्होंने COVID-19 के दौरान ट्रांसजेंडर लोगों के लिए अस्पतालों में वार्डों या बिस्तरों को आरक्षित करते हुए इस मामले पर ध्यान दिया है। प्रैल 2020 में, पश्चिम बंगाल सरकार ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए 10 बेड आरक्षित किए। यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि ट्रांस लोगों को अनावश्यक उदासीनता या निर्णय के अधीन किए बिना उपचार मिल सके। पश्चिम बंगाल के अलावा, तेलंगाना सरकार ने भी ट्रांसजेंडर लोगों के लिए COVID -19 से इलाज करवाने के लिए स्थान आरक्षित किया था।