Tuberculosis Test In Covid: कोरोना को लेकर शोध चलालु रहता है और आये दिन हम नयी नयी चीज़ें सीखते जाते हैं। हाल में ही सरकार ने कुछ नयी गाइडलाइन्स निकाली हैं। इनके हिसाब से अगर कोरोना पेशेंट को स्टेरॉइड्स देने के बाद भी खांसी में आराम नहीं मिल रहा है तो वह टीबी का टेस्ट कराए।
सरकार ने स्टेरॉइड्स के इस्तेमाल को लेकर क्या कहा है?
कोरोना की दूसरी लहर के वक़्त जरुरत से ज्यादा स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल किया गया था। इसके कारण से कोरोना पेशेंट में ब्लैक फंगस के केसेस सामने आने लगे थे। यह तब होता है जब बहुत जल्दी या फिर जरुरत से ज्यादा किसी को स्टेरॉइड्स लम्बे समय तक दिया जाता है। इसलिए अब सरकार का कहना है कि अगर किसी भी कोरोना पेशेंट को दो या तीन हफ्ते से ज्यादा दिन तक खांसी और कफ की समस्या होती है तो फिर वह अपना टीवी का टेस्ट करवाए।
हेल्थ मिनिस्ट्री का कहना है कि अगर पेशेंट को कोरोना के दौरान तेज भुखार, सांस लेने में समस्या और बहुत ज्यादा कफ 5 दिन से ज्यादा दिन तक है तो उसे इलाज की जरुरत है। इसके अलावा अगर पेशेंट को सांस नहीं आ रही है और ऑक्सीजन का लेवल 90 के आस पास है तब उसको ऑक्सीजन सपोर्ट की जरुरत है। अगर आपका ऑक्सीजन लेवल 90 से कम होता है तब आप सीरियस केटेगरी में आते हैं।
स्टेरॉइड्स क्या है और यह कब दिया जाता है?
जिन लोगों को कोरोना के असिम्पटोमैटिक या माइल्ड सिम्पटम्स है उन्हें स्टेरॉइड्स की ज़रूरत नहीं है। जिनके ऑक्सीजन लेवल में भी घटाव नहीं होता है और जिनके सिम्पटम्स 6-7 दिन के अंदर चले जाते हैं उन्हें स्टेरॉइड्स का सेवन करने की कोई ज़रूरत नहीं होती है। हमारा शरीर अपनी इम्युनिटी खुद बनाने में सक्षम होता है। इसलिए अगर आपको कोरोना के सिम्पटम्स हो तो तुरंत स्टेरॉइड्स न लें। अपने शरीर को अपने दम पर रिकवरी का मौका ज़रूर दें। अगर शुरू के 5-6 दिनों के अंदर आपकी हालत में सुधार न हो तो अपने डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही स्टेरॉइड्स का सेवन करें।