Waqf Amendment Bill राज्य सभा में भी हुआ पास, राष्ट्रपति से मंजूरी मिलनी बाकी

2 अप्रैल, 2025 को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया गया। इस बिल को लेकर 12 घंटे तक चर्चा हुई। रात को 2:00 बजे इस बिल को लोकसभा में मंजूरी मिल गई। इसके बाद 3 अप्रैल 2025 को बिल को राज्यसभा में पेश किया गया। चलिए पूरी खबर जानते हैं-

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Rajveer Kaur
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Waqf Amendment Bill

Photograph: (AICC via ANI/X)

Rajya Sabha Passed The Waqf (Amendment) Bill 2025: 2 अप्रैल, 2025 को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया गया। इस बिल को लेकर 12 घंटे तक चर्चा हुई। रात को 2:00 बजे इस बिल को लोकसभा में मंजूरी मिल गई। इस बिल की वोटिंग में 520 सांसदों ने भाग लिया जिसमें से 288 सदस्यों ने पक्ष में वोट दिया और 232 सदस्यों ने विरोध किया। इसके बाद 3 अप्रैल, 2025 को बिल को राज्यसभा में पेश किया गया। चलिए पूरी खबर जानते हैं-

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Waqf Amendment Bill राज्य सभा में भी हुआ पास, राष्ट्रपति से मंजूरी मिलनी बाकी

राज्य सभा में बिल हुआ पास 

गुरुवार को राज्यसभा में वक्फ बिल पर 12 घंटे तक चर्चा हुई जिसके बाद इसे मंजूरी मिल गई। इस दौरान राज्य सभा में बिल के पक्ष में 128 वोट पड़े। वहीं विपक्ष में 95 वोट पड़े। इस बिल को अब राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। उनकी तरफ से हाँ मिलने के बाद यह बिल कानून बन जाएगा।

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PM ने कहा, "वक्फ (संशोधन) बिल और मुसलमान वक्फ (निरसन) बिल का संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित होना हमारे सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास की साझा खोज में एक ऐतिहासिक क्षण है। इससे खास तौर पर उन लोगों को मदद मिलेगी जो लंबे समय से हाशिए पर रहे हैं और जिन्हें न आवाज मिली न मौका"।

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लोकसभा में भी मिली मंजूरी

लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी मिलने के बाद इसे राज्यसभा में भी पेश कर दिया गया था । इसके साथ ही सदन में मुसलमान वक्फ (निरसन) बिल 2024 को भी मंजूरी मिल गई, जो मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 को निरस्त करता है। इस बिल को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने UMEED (यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट इंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) नाम दिया है। NDA सरकार ने इस बिल को अल्पसंख्यक लोगों के लिए फायदेमंद बताया है और वहीं विपक्ष ने इसे 'एंटी-मुस्लम' बोला। 

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सोनिया गांधी ने विपक्ष पर किया वार 

उन्होंने कहा, "कल, वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 लोकसभा में पारित हो गया, और आज इसे राज्यसभा में पेश किया जाना है। विधेयक को वास्तव में जबरन पारित किया गया। हमारी पार्टी की स्थिति स्पष्ट है। यह विधेयक संविधान पर एक बेशर्म हमला है। यह हमारे समाज को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में रखने की भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।"

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जानिए क्या है वक्फ संशोधन बिल?

1995 के वक्फ अधिनियम में बदलाव लाने के लिए नया  बिल भारत सरकार द्वारा पेश किया जाएगा। सरकार का यह कहना है कि नए वक्फ बिल के आने से कामकाज बेहतर हो जाएगा और पारदर्शिता ज्यादा होगी। किरण रिजिजू ने संसद को में इस बिल को लेकर कहा था कि इसके आने से किसी की भी धार्मिक आज़ादी में हस्तक्षेप नहीं होगा।

वक्फ क्या है?

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यह ऐसी चल या अचल संपत्ति होती है जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति अल्लाह के नाम पर धर्म या समाज के भले के लिए दान कर देता है। इस संपत्ति का मालिक सिर्फ अल्लाह होता है जिसमें कोई भी बदलाव नहीं हो सकता है। अगर किसी ने जमीन मस्जिद के लिए वक्त वक्फ कर दी है तो अब वह जमीन हमेशा के लिए मस्जिद की ही रहेगी। इसे वापस नहीं लिया जा सकता है।

1950 में जब इन वक्फ संपत्तियों की देखने के लिए एक संस्था बनाने की जरूरत महसूस की गई तब पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार में 1954 में वक्फ ऐक्ट को पास किया गया जिसने वक्फों के केंद्रीकरण की दिशा में एक रास्ता प्रदान किया। इस एक्ट के तहत भारत सरकार द्वारा 1964 में सेंट्रल वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना की गई थी। 

1955 में वक्फ ऐक्ट,1954 को निरस्त कर दिया गया और 1995 में नए वक्फ एक्ट को पास किया गया। इस एक्ट से वक्फ बोर्डों को ज्यादा शक्तियां मिली।

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इसके बाद 2013 में वक्फ ऐक्ट में संशोधन किया गया। इसके तहत वक्फ बोर्ड की संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित किया गया।

औरतों को लेकर क्या बदलाव होगा?

वक्त संशोधन बिल को 2024 में भी संसद में वक्फ एक्ट 1955 को संशोधित करने के लिए पेश किया गया था और इसे काफी विरोध का भी सामना करना पड़ा था। वक्फ संशोधन बिल के तहत वक्फ एक्ट 1955 में काफी बदलाव किए जाएंगे जैसे पारदर्शिता को ज्यादा अहमियत दी जाएगी। इसके साथ ही वक्फ एक्ट 1955 के सेक्शन 9 और 14 को संशोधित किया जाएगा। इसके जरिए महिला प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है।

विवादों में क्यों आया?

वक्फ संशोधन बिल का विरोध इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि माना जा रहा है कि इससे सरकार का कंट्रोल ज्यादा बढ़ जाएगा। इसके साथ ही वक्फ बोर्ड की अथॉरिटी कम हो जाएगी। यह भी कहा जा रहा है कि इससे माइनॉरिटी जैसे, मुस्लिम कम्युनिटीज को ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। इसके साथ ही जब सरकार का कंट्रोल ज्यादा बढ़ेगा तो रिलिजियस ऑटोनॉमी भी बहुत हद तक कम हो जाएगी।

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