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Photograph: (PTI )
When Will the Women’s Reservation Bill Be Implemented? Here's What We Know So Far: महिला आरक्षण विधेयक, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से जाना जाता है, भारतीय संविधान में 106वां संशोधन है। यह विधेयक संसद और राज्य विधानसभा में महिलाओं को 33% आरक्षण देने का वादा करता है। अगर इसे लागू किया गया, तो 2029 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं को 543 सीटों में से एक-तिहाई सीटें आरक्षित मिलेंगी।
महिलाओं को आरक्षण कब मिलेगा? सरकार ने शुरू की तैयारी, लेकिन रास्ता अब भी लंबा है
लेकिन अब तक लागू क्यों नहीं हुआ?
हालांकि यह विधेयक सितंबर 2023 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पास किया जा चुका है, लेकिन इसे लागू करने से पहले एक जरूरी प्रक्रिया बची है सीमा पुनर्निर्धारण (Delimitation)।
सीमा पुनर्निर्धारण क्या है?
यह एक प्रक्रिया है जिसमें लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाएं दोबारा तय की जाती हैं। इसके तहत अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सीटें भी निर्धारित की जाती हैं। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 82 कहता है कि यह प्रक्रिया हर जनगणना के बाद होनी चाहिए।
लेकिन फिलहाल सीटों की सीमा तय करने पर 2026 तक रोक लगी हुई है। इसके हटने के बाद ही एक और संवैधानिक संशोधन की जरूरत होगी, जिसे दोनों सदनों से मंजूरी लेनी होगी।
सरकार ने शुरू की तैयारी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने सीमा पुनर्निर्धारण की तैयारी शुरू कर दी है ताकि 2026 के बाद प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।
जनगणना और जाति गणना 2025 में शुरू होगी और इसे मार्च 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक सरकारी सूत्र के अनुसार, “जनगणना की घोषणा हो चुकी है और बाकी कदम जल्द उठाए जाएंगे। हमारा लक्ष्य अगला चुनाव महिला आरक्षण के साथ करवाने का है।”
पहले भी उठी थीं आवाजें
महिला आरक्षण बिल को जल्द लागू करने की मांग कई बार कोर्ट और संसद में उठ चुकी है। दिसंबर 2023 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में स्पष्ट किया कि विधेयक 2024 की जनगणना के बाद ही लागू होगा।
जनवरी 2024 में, कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि इसे 2024 के चुनाव से पहले लागू किया जाए। कोर्ट ने उस समय सरकार से जवाब न आने पर सुनवाई टाल दी थी।
दिल्ली हाईकोर्ट में भी उठी मांग
एडवोकेट योगमाया एम.जी. ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि राजनीतिक पार्टियों को यह बताना चाहिए कि वे महिला आरक्षण को कैसे लागू करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक पारित होने के बावजूद, सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं आया है।
हालांकि, जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने यह याचिका खारिज कर दी और कहा कि इसे जनहित याचिका (PIL) के रूप में दायर करना चाहिए।
अब आगे क्या?
- महिला आरक्षण विधेयक का लागू होना इस बात पर निर्भर करता है कि:
- 2026 में सीमा पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया कितनी तेजी से शुरू होती है
- जनगणना और जाति गणना कितनी सटीक और समय पर होती है
- सरकार इस बिल को लेकर कितनी पारदर्शिता और प्रतिबद्धता दिखाती है
महिलाओं को राजनीति में बराबरी का हक दिलाने के लिए यह विधेयक एक ऐतिहासिक कदम है। लेकिन जब तक इसे जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया जाता, तब तक सिर्फ कानून पास हो जाना काफी नहीं है।
अब सवाल ये है क्या 2029 तक महिलाएं इंतज़ार करती रहेंगी, या बदलाव इससे पहले आएगा?