जानिए Kerala में ASHA Workers सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन क्यों कर रही हैं?

तिरुवनंतपुरम में आशा वर्कर्स की सरकार के खिलाफ कड़ी नाराजगी दिखाई दे रही है जिसके चलते विरोध पर दर्शन काफी तेज हो रहा है चलिए इस विरोध प्रदर्शन का कारण जानते हैं

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Rajveer Kaur
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ASHA Workers

Photograph: (X/Rejimon Kuttappan)

Why Are ASHA Workers Protesting: यह शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि 50 दिनों से ज्यादा हो गए हैं और केरल में आशा वर्कर्स सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। पब्लिक हेल्थ सेक्टर में आशा वर्कर्स का महत्वपूर्ण योगदान होता है। तिरुवनंतपुरम में आशा वर्कर्स की कड़ी नाराजगी सरकार के खिलाफ दिखाई दे रही है जिसके चलते विरोध प्रदर्शन काफी तेज हो रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि अगर सरकार उनकी मांगे नहीं मानेगी तो यह प्रदर्शन कम नहीं होगा चाहे बात उनकी जान पर ही क्यों ना आ जाए। चलिए आज इस विरोध प्रदर्शन का असली कारण जानते हैं-

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जानिए Kerala में ASHA Workers सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन क्यों कर रही हैं?

भूख हड़ताल 

आशा वर्कर्स के विरोध प्रदर्शन को 55 दिनों से ज्यादा हो गया है और इसके साथ ही 16 दिनों से ज्यादा भूख हड़ताल चल रही है। सोमवार को विरोध प्रदर्शन ने तब नाटकीय मोड़ ले लिया जब दर्जनों लोगों ने अपने बाल कटवा लिए और कुछ ने तो अपना सिर भी मुंडवा लिया। यह महिलाएं हिम्मत के साथ सरकार के सामने खड़ी हुई है और उचित वेतन एवं रिटायरमेंट से जुड़े फायदे को लेकर मांग कर रही हैं।

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क्या है मांगे?

आपको बता दें कि सैकड़ों की तादाद में आशा वर्कर्स तिरुवनंतपुरम में 10 फ़रवरी से सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। उनकी मांगों में वेतन बढ़ोतरी है। अभी हर महीने आशा वर्कर्स को 7,000 रुपये मिलते हैं, जो वे 21,000 रुपये करना चाहती हैं। कुछ महीने से उन्हें तनख्वाह नहीं मिली, जिसे वे तुरंत चाहती हैं। इसके साथ ही रिटायर होने पर 5 लाख रुपये की मांग कर रही हैं। वे चाहती हैं कि सरकार उन्हें स्थायी कर्मचारी माने, न कि सिर्फ वॉलंटियर। उन्हें लगता है कि वे दिन-रात लोगों की सेहत के लिए काम करती हैं, लेकिन सरकार उनकी मेहनत को नजरअंदाज कर रही है। 

स्वास्थ्य मंत्री का बयान

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केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा, "सरकार आशा कार्यकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने पर सहमत हो गई है। समिति को तीन महीने के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाएगा।"

PTI की जानकारी के मुताबिक, आशा वर्कर्स का कहना है कि कांग्रेस से जुड़े INUTC ने उनकी मांगों के लिए समिति बनाने का सुझाव देकर उनके साथ धोखा किया। INUTC ने इस बात से इनकार किया। बाद में कांग्रेस ने कहा कि न वे और न ही उनका गठबंधन UDF चाहता है कि समिति बनाकर विरोध खत्म हो।

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27 फरवरी को MP शशि थरूर का भी बयान आया था। उन्होंने X पर लिखा था, "कल तिरुवनंतपुरम में हड़ताल आशा वर्कर्स से मिलना भावुक कर देने वाला था। ये मेहनती महिलाएं 12-14 घंटे काम करती हैं, सिर्फ 7,000 रुपये महीने के लिए। चार महीने से उन्हें पैसे नहीं मिले और कोई सामाजिक सुरक्षा भी नहीं है। प्रशासन उन्हें विरोध करने के लिए नौकरी से निकालने की धमकी दे रहा है। हमें उनके साथ खड़ा होना चाहिए।

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