Womens Reservation Bill: कल यानी कि 18 सितम्बर 2023 सोमवार को सरकार ने महिला आरक्षण बिल को केन्द्रीय कैबिनेट ने संसद के एक विशेष सत्र के दौरान इसे मंजूरी दे दी है। इस बिल के माध्यम से लोकसभा और राज्यसभाओं में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण का प्रावधान है। इस बिल के बारे में अगर कहें तो यह बिल करीब 27 वर्षों से लंबित था। इस बिल को संसद की एक विशेष सत्र में पेश किया गया और इसे मंजूरी मिल गई। यह फैसला महिलाओं के लिए एक एतिहासिक फैसला है।
क्यों महत्वपूर्ण है विमेन रिजर्वेशन बिल और क्यों हमें इसे सेलिब्रेट करना चाहिए
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में महिलाओं की राजनीति में स्थित के बारे में बताया गया। मंत्री और सांसदों की संख्या के मामले में भारत की स्थिति 146 देशों में 48 वें पायदान पर है। पूरे देश में राजनीती के किसी भी पद को देखा जाये महिलाएं बहुत ही कम हैं चाहे वह सांसद की सीटें हों या विधायक की या फिर पंचायतों की। महिलाओं की भागीदारी बहुत ही कम है। इसलिए यह बिल महिलाएं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
- इस बिल से महिलाओं को राजनीति में अधिक प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा।
- यह बिल महिलाओं को राजनीतिक और सामाजिक तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका देने में हेल्प करेगा।
- यह जातिवाद और लिंगभेद के के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है।
- हर आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जायेगा।
- इससे सरकारों में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा मिलेगा।
- 33 प्रतिशत आरक्षण मिलने से महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएँगी।
- इस बिल के पास होने से आने वाली लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों में महिलाओं का स्तर बढ़ेगा।
यह विधेयक महिलाओं के लिए राजनीति में अधिक अवसर के रूप में काम करेगा। अब तक महिलाओं की संख्या संसद और राज्यसभाओं में कम थी जो कि अब 33 प्रतिशत होगी। इस विधेयक में यह भी कहा गया है कि विधेयक के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण खत्म हो जायेगा। इस बिल को कैबिनेट ने पास कर दिया है। अगर बात करें इस बिल को हमें क्यों सेलिब्रेट करना चाहिए तो इसका सीधा सा रीजन है कि देश में महिला वोटर की इतनी बड़ी सख्या होने के बावजूद भी देश की राजनीति में महिलाओं की संख्या सिर्फ 15 प्रतिशत ही है जबकि कुछ राज्यों में यह और भी कम है। जिसमें सुधार आएगा। महिलाओं के लिए समानता के अवसर लाने के लिए यह बिल बहुत ही आवश्यक है।
क्या है महिला आरक्षण विधेयक
यह महिला आरक्षण विधेयक संविधान के 85वें संसोधन का विधेयक है। इसके द्वारा महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान रखा गया है और इस 33 प्रतिशत में एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएँगी। यह विधेयक महिलाओं के लिए एक बेहतर अवसर लाने वाले विधेयक के रूप में है इसके बावजूद भी इस विधेयक को इतने लम्बे समय तक पारित नहीं किया था।
#WATCH | In the Lok Sabha of the new Parliament building, Union Law Minister Arjun Ram Meghwal tables the Women's Reservation Bill in Lok Sabha. pic.twitter.com/cRQMhbDdzI
— ANI (@ANI) September 19, 2023
क्या है महिला आरक्षण बिल का इतिहास
यह बिल पहली बार देवगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार में 12 सितम्बर 1996 को 81वें संसोधन विधेयक के रूपे में संसद में पेश किया। लेकिन उस समय यह विधेयक सदन में पारित नहीं हो पाया। इसके दो साल बाद अटल बिहारी बाजपेई के नेत्रत्व वाली सरकार ने 1998 में 12वीं लोकसभा में इस बिल को आगे बढ़ाया। अटल बिहारी बाजपेई ने इस विधयेक में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग रखी। लेकिन इस बिल को तब भी समर्थन नहीं मिला। इस बिल को बाद में मनमोहन सिंह की सरकार में साल 2008-09 में भी लाया गया लेकिन यह विफल रहा। महिलाओं के लिए राजनीति में 33 प्रतिशत मांग करने वाले इस विमेन रिजर्वेशन बिल को पिछले 27 वर्षों से मंजूरी नहीं मिली थी।