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Widows Celebrate Holi At Vrindavan: होली हम सबका पसंदीदा त्योहार है लेकिन कुछ लोगों को होली मनाने नहीं दी जाती है जिसमें विधवा महिलाएं भी शामिल हैं। हमारे समाज में सदियों से ही विधवा महिलाओं की जिंदगी को हमेशा ही मुश्किल बनाया गया है। उनकी जिंदगी के सभी रंग छीन लिए जाते हैं और किसी भी खुशी के मौके में उन्हें शामिल नहीं किया जाता है लेकिन वृंदावन में सदियों पुरानी इस रवायत को तोड़ा गया है क्योंकि यहां पर विधवाओं को भी होली मनाने दी जाती है।
"Colour vanished from my life after my husband died. I was just 20. I could not wear colourful clothes, or apply lali (colour) on my lips. I was shooed away from functions."#Vrindavan, considered to be the place where Lord Krishna spent his childhood, has for centuries been a… pic.twitter.com/PLgHxhrxrT
— The Indian Express (@IndianExpress) March 12, 2025
ब्रज में विधवा महिलाओं ने फ़ूलों और गुलाल के साथ खेली होली
भारत के ब्रज क्षेत्र खास तौर पर वृंदावन में, विधवाएँ रंगों के जीवंत त्योहार होली को मनाकर सदियों पुरानी परंपराओं को तोड़ रही हैं। आज यानि 12 मार्च, 2025 को ब्रज में विधवा महिलाओं ने होली खेली। वृंदावन के गोपीनाथ मंदिर में विधवा महिलाओं ने फूल और गुलाल से होली मनाई। DB के अनुसार, इसके लिए 20 क्विंटल फूल और 25 क्विंटल गुलाब का प्रबंध किया गया। विधवा महिलाओं के साथ विदेशी महिलाओं ने भी होली के इस उत्सव का लुत्फ उठाया। उनके लिए यह बिल्कुल नया अनुभव था।
Vrindavan, Uttar Pradesh: Defying age-old traditions, hundreds of widows celebrated Holi at Gopinath Temple, dancing and playing with flowers and herbal colors. Organized by Sulabh Hope Foundation, widows called it 'A Holi of Hope' pic.twitter.com/bGHt89lWtR
— IANS (@ians_india) March 12, 2025
होली ने इन विधवा महिलाओं को खुलकर जिंदगी जीने का मौका दिया जहां पर उन्होंने एक दूसरे को रंग लगाए और हजारों औरतों ने एक साथ नृत्य भी किया। ऐसे मौके पर विदेश से भी महिलाएं होली देखने के लिए पहुंची और उन्होंने इन विधवा महिलाओं को ज्वाइन किया। यह उनके लिए एक बिल्कुल ही नया अनुभव था। उन्होंने भी खूब रंग उड़ाए, होली के गानों पर डांस किया और सेल्फी भी ली।
VIDEO | Mathura: Widows celebrate Holi at Gopinath Temple in Vrindavan.
— Press Trust of India (@PTI_News) March 12, 2025
(Full video available on PTI Videos- https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/oCLMunHDz3
होली का यह त्यौहार विधवा महिलाओं के लिए सिर्फ खुशी का उत्सव नहीं है बल्कि उन्हें जिंदगी जीने की उम्मीद देता है। एक दूसरे को रंग लगाने से उनकी खुद की जिंदगी भी रंगों से भर उठती है और उन्हें अपनी जिंदगी जीने का मजा आता है।
भारतीय समाज में विधवा होना आसान नहीं था,। आज भी कुछ जगह पर विधवा महिलाओं के साथ भेदभाव होता है। उन्हें ऐसे उत्सवों में भाग लेने से रोक दिया जाता था। सोशल स्टिग्मा के कारण उन्हें केवल सफ़ेद कपड़े पहनने, सांसारिक सुखों का त्याग करने और होली जैसे खुशी के उत्सवों से दूर रहने के लिए मजबूर किया जाता था, क्योंकि उनकी उपस्थिति को अशुभ माना जाता था लेकिन जब से वृंदावन में होली का उत्सव विधवा महिलाओं की तरफ से मनाया जाने लगा है तब से यह सोशल स्टिग्मा कम हो रहा है और उन्हें भी अपनी जिंदगी जीने का मौका मिल रहा है।
सुलभ इंटरनेशनल जैसे संगठनों और कानूनी कदमों की वजह से 2012-2013 के आसपास विधवाओं की स्थिति में बदलाव शुरू हुआ। 2013 से शुरू हुए इस उत्सव ने लोगों का ध्यान खींचा। अब इसमें शामिल होने वाले लोग, फोटोग्राफर और विदेशी मेहमान भी आते हैं, जो पुरानी दमनकारी परंपराओं के खिलाफ इस बदलाव को देखते हैं। यह आंदोलन विधवाओं को समाज में दोबारा जोड़ने की बड़ी कोशिश को दिखाता है और उन पुराने रिवाजों को चुनौती देता है, जो उन्हें हमेशा दुखी रखते थे।