अफ़ग़ानिस्तान के हालात कुछ ऐसे हैं कि वहां पर लडकियां उनके छोटे छोटे अधिकारों के लिए भी लड़ रही हैं। अफ़ग़ान के कुछ लड़कों ने स्कूल जाने से मना कर दिया और अपने घर पर ही रुके क्योंकि कुछ अभी लड़कियों को घर में रहने को ही कहा गया है। यह मामला काबुल का है। लड़कों का कहना है कि लड़कियों से ही हमारी आधी सोसाइटी बनती है अगर वो स्कूल नहीं जाएँगी तो यह भी नहीं जाएंगे। ऐसा कहने वाले लड़के का नाम रोहुलाह है जो कि सिर्फ 18 साल का है और 12th क्लास में है।
Women's Under Taliban Rule
इस मुश्किल वक़्त में लड़कों को लड़कियों का साथ देना बेहद जरुरी है। एक साथ मिलकर ही यह तालिबान के इन दबाउ कानूनों से लड़ सकते हैं। तालिबान के हायर एजुकेशन मिनिस्टर ने कहा कि अब से महिलाओं को यूनिवर्सिटी में पड़ने की परमिश दी जा रही है लकिन मिक्स्ड क्लासेज को लेकर अभी भी बैन रहेगा। तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर 15 अगस्त को कब्ज़ा कर लिया था और उसके बाद से यह सब कानून वहां के बदलते जा रहे हैं खास तौर पर महिलाओं से जुड़ीं।
स्पोर्ट्स पर लगाया बैन
इतनी बंदिशों के चलते 32 महिला फुटबॉलर्स तालिबान को चकमा देकर पकिस्तान पहुंच चुकी हैं। यह अपने परिवार वालों के साथ अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर आगए हैं क्योंकि वहां महिलाओं के लिए बिलकुल भी सेफ माहौल नहीं है और महिलाओं के स्पोर्ट्स खेलने को लेकर भी तालिबान ने बैन लगा दिया है।
महिलाओं की काबिलियत को तौला
इस से पहले तालिबान ने कहा था महिलाएं मिनिस्टर नहीं बन सकती हैं यह तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की सभी महिलाओं के लिए अपने आप कह दिया है। ऐसे ही कुछ समय पहले तालिबान ने डिक्लेअर किया था कि महिलाएं अब किसी भी तरीके के स्पोर्ट्स में हिस्सा नहीं ले सकती हैं क्योंकि इससे उनकी बॉडी एक्सपोज़ होती है। इस से पहले इन्होंने कहा था कि महिलाओं को कॉलेज में सिर्फ महिला टीचर्स ही पढ़ा सकती हैं या फिर थोड़े ज्यादा उम्र के पुरुष जिनका करैक्टर अच्छा हो।