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Mis Presentation: चीजें जो टीवी और फिल्मों में गलत तरीके से दिखाते हैं

ओपिनियन: हमारे रोजमर्रा के जीवन में टी.वी एवं फिल्म हमारी मानसिकता को काफ़ी हद तक प्रभावित करती है परंतु क्या हमने कभी इस बात पर गौर किया है कि इसके कारण ही शायद आज समाज में महिलाओं को लेकर हमारी विचारधारा कितनी गलत हैI अधिक पढ़ें इस ब्लॉग में-

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Sukanya Chanda
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5 Things That Misrepresentation In TV And Movies (Image Credit: iDiva)

5 Things That Misrepresentation In TV And Movies (Mis Presentation): हमारे रोजमर्रा के जीवन में टी.वी एवं फिल्म हमारी मानसिकता को काफ़ी हद तक प्रभावित करती है परंतु क्या हमने कभी इस बात पर गौर किया है कि इसके कारण ही शायद आज समाज में महिलाओं को लेकर हमारी विचारधारा कितनी गलत है?

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आज समाज में महिलाओं की दुर्गति का जिम्मेदार मीडिया क्यों है और इसका क्या कारण है

1. कपड़ों से चरित्र को समझाना

हम टीवी में किसी भी कार्यक्रम को उठा कर देख ले हमें यही दिखेगा कि जो हीरोइन है या फिर जो पॉजिटिव रोल निभाती है वह हमेशा हिंदुस्तानी पहनावे में दिखाई देती है और जो नारी विलेन का किरदार निभा रही है उन्हें काफ़ी मॉडर्न एवं बोल्ड अवतार में दिखाया जाता है जिससे हमारे दर्शकों के दिमाग में यह अपने आप बैठ जाए कि जो हिंदुस्तानी ढांचे में हो वह संस्कारी एवं अच्छे किरदार की लड़की है परंतु जो वेस्टर्न में हो उसके लक्षण ठीक नहीं हैI यहां पर बात किसी तरह के पश्चिमी या भारतीय पहनावे को लेकर नहीं यहां बात किरदार की हैI हमें यह समझना होगा कि हम किसी का भी चरित्र उसके पहनावे या उसके रूप से नहीं जांच सकतेI मनुष्य का चरित्र उसके आचरण पर निर्भर करता है यहां पर उसके पहनावे या श्रृंगार का क्या लेना देनाI

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2. रूप-रंग में भेद-भाव

हम कोई भी फिल्म या कार्यक्रम देखें तो हीरोइन हमेशा गोरी एवं आकर्षित लगनी चाहिएI परंतु मेरा सवाल है कि आकर्षण क्या है और क्या इससे हमारे रूप-रंग, कद-काठी का कोई लेना-देना है? वह कहते है ना सुंदरता केवल देखने का नजरिया हैI परंतु आज यही कार्यक्रम एवं फिल्म हमारे उस नजरिए को मैन्यूपुलेट कर रही हैI आज भी यदि आप गोरी, चिट्टी लंबी एवं स्लिम-ट्रिम ना हुई तो आप सुंदर नहीं और हमारी फिल्में एवं सीरियल इस बात को पूरी तरह बढ़ावा देने में सक्षम हुई हैI यदि कोई सांवली रंग की हीरोइन भी कार्यक्रम में मुख्य भूमिका निभा रही है तो यह पूरा कार्यक्रम ही उसके रंग-रूप के ऊपर आधारित होगा जहा दिखाया जाएगा कि वह कितनी लाचार एवं बेबस है उसके रूप के कारणI

3. घरेलू हिंसा को बढ़ावा देना

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हम सदा ही टी.वी सीरियल में देखते है कि जब अभिनेत्री ससुराल शादी कर के जाती है तब वह वहां के हर जुल्म को बिना किसी शर्त के सहन करती है क्योंकि अब बड़ों का आदर करना एवं अपने पति की सेवा करना ही उसका धर्म हैI चाहे घरवाले उस पर लाख यातना करे आंख मूंदकर चुपचाप सब सहन करना ही उसका कर्तव्य है और यही दर्शकों को गलत संदेश पहुंचाता है कि यह सब तो आम बात हैI ससुराल जाते ही थोड़ा बहुत अत्याचार तो सहना पड़ेगा ही क्योंकि औरतों का तो काम ही होता है सहन करना जबकि असल में किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक अत्याचार घरेलू हिंसा है जो कि किसी को भी माननीय नहीं होनी चाहिए

4. औरत को अश्लील रूप में दर्शाना

हम सदा ही फिल्मों में यह देखते आ रहे है कि दर्शकों को ज्यादा से ज्यादा प्रभावित करने के लिए निर्देशक अपनी फिल्म में एक आइटम सॉन्ग डाल देते हैं जहां नाचने वाली को काफ़ी अश्लील तरीके से दर्शाया जाता है ताकि वह ज्यादा से ज्यादा पुरुषों को आकर्षित कर सके जिसके फलस्वरूप उनकी यह मनोवृति बन जाती है कि औरतें तो पुरुषों को आकर्षित करने के लिए ही बनी हैI यदि हम अपने फिल्मों के द्वारा औरतों को सम्मान करने की जगह उन्हें केवल के एक मनोरंजन के साधन के रूप में प्रस्तुत करें तो क्या काम ऐसी फिल्मों का?

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5. औरतों के आपसी संबंधों को बदनाम करना

आज इन फिल्म और सीरियल के बदौलत है कि औरतों के आपसी संबंधों पर प्रश्न किए जाते है जैसे कि सास को हमेशा एक नेगेटिव अवतार में दिखाया जाता है कि एक बहू और सास कभी भी आपस में नहीं घुलमिल सकते या कोई भी नारी किसी दूसरे नारी के कामयाबी से खुश नहीं होतीI अपितु जलती है यह सरासर गलत है क्योंकि असल जिंदगी में ऐसी कितनी नारी हैं जो हमेशा अपनी सहेली या अपनी या अपने प्रतिद्वंदी के कामयाबी से प्रेरित होती है और ज़रूरी नहीं कि एक सास हमेशा अपने बहू पर अत्याचार करे आखिर में वह एक मां ही है और अपने बहू को बेटी की तरह प्यार करेगीI

दुनिया बदल रही है और ज़रूरी है कि हम भी इस बदलती हुई पीढ़ी के साथ हमारी सोच बदले और जिस तरह से लोग फिल्मों एवं कार्यक्रमों से प्रभावित होते है इसकी शुरुआत वहां से हो सकती है ताकि आगे चलकर औरतों को लेकर हमारी मानसिकता बदले और दोबारा उनके पहनावे रंग-रूप से उनको ना परखा जाएI वह कामयाब बने और उन्हें किसी भी तरह की अत्याचार का शिकार ना बनना पड़ेI

महिलाओं समाज TV And Movies Mis Presentation
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