यह 6 Taunts रोजमर्रा के जीवन में महिलाओं को अक्सर सुनने पड़ते है

ओपिनियन: महिलाओं को अक्सर समाज में विभिन्न प्रकार के तानों का सामना करना पड़ता है, जो उनके आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को ठेस पहुंचाते हैं। ये ताने समाज की रूढ़िवादी सोच को दर्शाते हैं और महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

author-image
Trishala Singh
New Update
6 Taunts Women Face Everyday

(Credits: Pinterest)

6 Taunts Women Face from Society Everyday: भारतीय समाज में महिलाओं को अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें से एक प्रमुख समस्या है तानों का सामना करना। ताने और नकारात्मक टिप्पणियां महिलाओं के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचाती हैं और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं। आइए, ऐसे 6 तानों के बारे में बात करें जो महिलाओं को अक्सर सुनने मिलते हैं।

यह 6 Taunts रोजमर्रा के जीवन में महिलाओं को अक्सर सुनने पड़ते है 

1. इतना सजने-संवरने की क्या जरूरत है?

Advertisment

महिलाओं को अक्सर यह ताना सुनने को मिलता है कि वे खुद को सजाने-संवारने में बहुत समय लगाती हैं। समाज को यह समझने की जरूरत है कि हर महिला का यह व्यक्तिगत अधिकार है कि वह कैसे दिखना चाहती है। सजना-संवरना एक व्यक्ति की आत्म-अभिव्यक्ति का हिस्सा है और इसे किसी भी तरह से नकारात्मक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए। यह ताना महिलाओं को यह संदेश देता है कि उनकी सुंदरता और स्वाभाविकता को सराहना नहीं मिलेगी।

2. इतना पढ़-लिखकर क्या करोगी, आखिरकार शादी ही करनी है।

महिलाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद यह ताना सुनना पड़ता है कि उनकी शिक्षा का कोई विशेष महत्व नहीं है क्योंकि अंततः उन्हें शादी ही करनी है। यह ताना महिलाओं के करियर और उनकी आत्मनिर्भरता को नजरअंदाज करता है। हर महिला का अधिकार है कि वह अपने सपनों को पूरा करे और अपने करियर में सफलता प्राप्त करे। शादी जीवन का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह किसी के पूरे जीवन का सार नहीं हो सकता।

3. घर संभालना तुम्हारा काम है, बाहर का काम मेरे ऊपर छोड़ दो।

महिलाओं को घर के कामों की जिम्मेदारी निभाने के लिए यह ताना सुनने को मिलता है। समाज में यह धारणा बनी हुई है कि घर संभालना सिर्फ महिलाओं का काम है, जबकि बाहर के काम पुरुषों का। यह ताना महिलाओं के कार्यक्षेत्र में योगदान को कम आंकता है और उन्हें घर की चारदीवारी में सीमित करने का प्रयास करता है। समय के साथ, इस मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है ताकि महिलाएं भी अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल कर सकें।

4. इतनी देर रात तक बाहर क्या कर रही हो?

Advertisment

महिलाओं को अक्सर अपने घर से बाहर रात में रहने पर यह ताना सुनना पड़ता है। यह ताना महिलाओं की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर सवाल उठाता है। यह जरूरी है कि हम महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करें और उनकी स्वतंत्रता को सीमित करने की बजाय उनका समर्थन करें। रात हो या दिन, महिलाओं को अपने मनपसंद जगह पर जाने और काम करने का पूरा अधिकार होना चाहिए।

5. तुम्हारी उम्र बढ़ रही है, शादी कब करोगी?

यह ताना महिलाओं को उनकी उम्र के साथ जोड़कर उनकी शादी के बारे में सुनना पड़ता है। समाज में यह धारणा बनी हुई है कि एक महिला की उम्र बढ़ने के साथ उसकी शादी की संभावना कम हो जाती है। यह सोच न केवल महिलाओं पर दबाव डालती है बल्कि उनके जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को भी नजरअंदाज करती है। हर महिला को अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण फैसले खुद लेने का अधिकार होना चाहिए, चाहे वह शादी हो या करियर।

6. तुम्हें तो बच्चों की परवरिश करनी चाहिए, कामकाजी क्यों हो?

महिलाओं को यह ताना भी सुनने को मिलता है कि उन्हें अपने बच्चों की परवरिश पर ध्यान देना चाहिए और कामकाजी जीवन को छोड़ देना चाहिए। यह ताना महिलाओं के कामकाजी जीवन और उनकी पेशेवर महत्वाकांक्षाओं को नजरअंदाज करता है। समाज को यह समझना चाहिए कि महिलाएं अपने करियर और परिवार दोनों को संभालने में सक्षम होती हैं। उन्हें अपने कामकाजी जीवन में भी अपनी पहचान बनाने का पूरा अधिकार है।

Advertisment

इन तानों से महिलाओं के आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास पर गहरा असर पड़ता है। यह जरूरी है कि हम इन नकारात्मक टिप्पणियों को खत्म करें और महिलाओं को उनके जीवन में हर पहलू में समर्थन दें। महिलाओं को उनके अधिकारों और स्वतंत्रता का पूरा सम्मान मिलना चाहिए ताकि वे अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जी सकें और अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल कर सकें। समाज की सोच में बदलाव लाना ही महिलाओं के लिए एक बेहतर और समानतामूलक भविष्य की दिशा में पहला कदम है।

पढ़-लिखकर Women Face from Society Taunt # #परवरिश शादी स्वतंत्रता Everyday शिक्षा