A Toxic Excuse "Boys Will Be Boys" is No More: समाज में आज भी लड़की होना आसान नहीं है। अगर हम पहले के मुकाबले आज के हालात देंखे तो उनमें बहुत ज्यादा सुधार आ गया है लेकिन अभी भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा नहीं मिला है। बहुत सारे ऐसे पहलू हैं जिन पर काम होना अभी बाकी है। आज भी हम पूरे कॉन्फिडेंस के साथ यह नहीं बोल सकते हैं कि महिला और पुरुष बराबर हैं। इसके साथ ही आज भी यह समाज मेल डोमिनेंस है। पुरुषों के गलत काम को सिर्फ यह कहकर सही मान लिया जाता है कि पुरुष हैं तो कर सकते हैं। कब तक महिलाओं को यह सब सहन करना होगा? कब हम उनकी गलतियों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराएंगे? आज हम इस विषय पर ही बात करेंगे-
लड़का होना आपको यह अधिकार नहीं देता कि आप महिलाओं के साथ गलत कर सकते हैं
इसका शायद किसी को अंदाजा नहीं है कि जब हम यह बोलते हैं कि पुरुष कुछ भी कर सकते हैं तो इससे पुरुषों को इतना ज्यादा हौसला मिलता है कि उन्हें किसी तरीके का डर नहीं होता है। वे महिलाओं के साथ इतने जघन्य अपराध कर देते हैं जिससे पूरी इंसानियत शर्मसार हो जाती है। लेकिन उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं होता है। महिलाओं के साथ अपराध करने के बाद भी उनका यही कहना होता है कि इसमें भी महिलाओं की ही गलती है। उन्हें चुपचाप सहन करना चाहिए था तो उनके साथ इतना ज्यादा गलत नहीं होता। उन्हें रात के समय बाहर नहीं निकलना चाहिए, छोटे कपड़े नहीं पहनने चाहिए, पुरुषों के साथ घूमना नहीं चाहिए और रात के समय ड्यूटी नहीं करनी चाहिए।
इसमें समाज की भी बहुत बड़ी गलती है क्योंकि पुरुषों के ऐसे व्यवहार को नॉर्मलाइज किया जाता है। हम कभी भी पुरुषों को सही और गलत में अंतर नहीं समझाते हैं। हम पुरुषों को हमेशा महिलाओं से ऊपर बताते हैं। हम उन्हें यह नहीं बताते कि पुरुष और महिला में बायोलॉजिकल डिफरेंस हो सकते हैं लेकिन उनकी काबलियत और योग्यता में कोई भी फर्क नहीं होता है। ऐसा कोई काम नहीं है जो महिलाएं नहीं कर सकती हैं। अब समय आ गया है कि हम पुरुषों के गलत व्यवहार को नॉर्मलाइज करने कि बजाय उन्हें गलत कहना शुरू करें। इससे ही बदलाव आना शुरू होगा। जब तक पुरुष अंदर से खुद को गलत नहीं महसूस करेंगे तब तक महिलाओं के साथ होने वाले अपराध कम नहीं होंगे।