Ageism Does Not Put An End To Their Desires: महिलाओं की उम्र जब बढ़ने लग जाती है तब वह अपनी जिंदगी को खुलकर जीना बंद कर देती है। उनके व्यवहार, पर्सनालिटी, कपड़े, खान-पीन और लाइफस्टाइल सब चीजों में बदलाव आने लग जाते हैं। लोगों का भी उनके प्रति नजरिया बदलने लग जाता है। ऐसे ही बहुत सारी महिलाएं खुद के लिए जीना छोड़ देती है। उन्हें लगता है कि अब हमारी उम्र खुलकर जिंदगी जीने की नहीं है। अब हमें अपनी ख्वाहिशों पर विराम लगा लेना चाहिए। समाज इस बात को अच्छा नहीं समझता कि आप 40 की उम्र के बाद अपनी ख्वाहिशों का ऐसे खुलेआम प्रगट करें। आज हम इसी टॉपिक पर बात करेंगे कि क्या सच में बढ़ती हुई उम्र महिलाओं की ख्वाहिशों पर विराम है-
Ageism: महिलाओं की बड़ती हुई उम्र उनकी ख्वाहिशों पर विराम नहीं
पिछले कुछ दिन पहले एक न्यूज़ आई थी जिसमें ट्विंकल खन्ना ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इस बात को शेयर किया था कि उन्होंने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। इससे हमें यह सीख मिलती है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है। अगर आप अपनी उम्र को देखकर काम करने लगेंगे फिर आप कुछ नहीं कर पाएंगे। यह जरूरी नहीं है कि हमें समाज के द्वारा हर काम की जो सही उम्र बनाई गई है उसके हिसाब से ही सब कुछ हासिल करें। हमें इन स्टैंडर्ड में से बाहर निकलना होगा और अपने हिसाब से जिंदगी को जीना शुरू करना होगा।
हम सब की जिंदगी बहुत अलग है
कुछ लोग बहुत छोटी उम्र में ही सब कुछ हासिल कर लेते हैं लेकिन कई लोग अपनी जिंदगी को उस उम्र में जीना शुरु करते हैं, जिसमें लोग ऐसा करने का सोच भी नहीं सकते। वह सोच लेते हैं कि वह बूढ़े हो गए हैं। भारत जैसे देश में उम्रवाद को बहुत नेगेटिव नजर से देखा जाता है। यह टैबू है। हमारे समाज में बहुत कम महिलाएं है जो बढ़ती उम्र का आनंद लेती हैं और अपना आप नहीं छोड़ती। महिला और पुरुष के लिए समाज में शुरू से ही डबल स्टैंडर्ड रहे हैं।
डबल स्टैंडर्ड
अगर हम उम्र में डबल स्टैंडर्ड की बात करें तो इसमें भी भी मौजूद है। अगर कोई पुरुष 50 की उम्र के बाद खुद को मेंटेन कर रहा है और सेहत पर ध्यान दे रहा है ऐसे में कहा जाता है यह दिल से जवान है। महिलाएं जिम जाना शुरू कर दे, हेल्दी खाना खाए तो कहा जाएगा, "देखो! इस उम्र में जवान दिखने की आग लगी है"। इसे अपनी उम्र का थोड़ा लिहाज करना चाहिए। इसे देखकर यंग जनरेशन पर कितना बुरा असर पड़ेगा। इस उम्र में कोई इतने छोटे कपड़े पहनता है। समाज के अनुसार महिला एक उम्र के बाद ट्रेंड या फिर समय के अनुसार नहीं चल सकती है। उसे अपने लाइफस्टाइल में बिल्कुल ही सादापन लेकर आ जाना चाहिए और जरूरत और ख्वाहिशों को दबा देना चाहिए। अब वह अपनी ख्वाहिशों की उम्र पार कर चुकी है।
महिलाओं को यह बात समझने की जरूरत है कि उन्हें इस बात की स्ट्रेस लेने की कोई जरूरत नहीं है कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे। बढ़ती हुई उम्र का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी जिंदगी जीना छोड़ दे। आप अपनी ख्वाहिशों और जरूरतो को पूरा करें। आप जिंदगी को जैसे मर्जी जी सकते हैं। इसमें उम्र का कोई खास रोल नहीं है। यह सिर्फ एक नंबर है जो हर साल बढ़ता जा रहा है।