Are Beauty Standards Harmful To Women Self Esteem: आज कल के समय में हर व्यक्ति यह देखता है कि सामने वाला कितना परफेक्ट है और वह स्वयं भी वैसा ही बनना चाहता है। जिसकी वजह से आज कल के समय में परफेक्शन का एक नया ट्रेंड सामने है और यह इतना भयावह है कि लोग परफेक्शन के आगे रियलिटी को स्वीकार तक नहीं करना चाहते हैं और अगर बात की जाए महिलाओं के ब्यूटी स्टैण्डर्ड की तो यह आज कल महिलाओं के लिए इस परफेक्शन वाली कहानी से कुछ कम नहीं है। हर महिला खुद को खूबसूरत, सुन्दर, फिट देखना चाहती है और साथ ही समाज में मौजूद लोग भी। लेकिन सच में तो हर कोई उतना परफेक्ट नहीं जितना लोग देखना चाहते हैं। ऐसे में अपनाया जाता है फेक टेकनीक्स को जो महिलाओं को सुन्दरता की तरफ ले जाती हैं। आइये जानते हैं कैसे ब्यूटी स्टैण्डर्ड महिलाओं के सेल्फ स्टीम के लिए हानिकारण हैं।
क्या ब्यूटी स्टैण्डर्ड महिलाओं के आत्मसम्मान के लिए हानिकारक हैं?
इस इस बात का जवाब माँगा जाए कि क्या ब्यूटी स्टैण्डर्ड महिलाओं के आत्म-सम्मान के लिए हानिकारण हैं तो जवाब होगा हाँ। ब्यूटी स्टैण्डर्ड महिलाओं के आत्मसम्मान के लिए हानिकारक होते हैं। ब्यूटी स्टैण्डर्ड अक्सर अवास्तविक और संकीर्ण रूप से परिभाषित होते हैं। जो सुंदरता के एक विशिष्ट आदर्श को बढ़ावा देते हैं जो अक्सर अधिकांश व्यक्तियों के लिए अप्राप्य होता है। इन मानकों को पत्रिकाओं, विज्ञापनों, सोशल मीडिया और मनोरंजन उद्योगों सहित विभिन्न मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से कायम रखा जाता है। लेकिन ये महिलाओं की सेल्फ स्टीम के लिए हानिकारण होते हैं इसका ध्यान कोई नहीं देता।
अवास्तविक अपेक्षाएँ
ब्यूटी स्टैण्डर्ड अक्सर एक आदर्श को बढ़ावा देते हैं जिसे अत्यधिक संपादित किया जाता है। एयरब्रश किया जाता है या शल्य चिकित्सा द्वारा बढ़ाया जाता है। जिससे सुंदरता का एक अवास्तविक मानक बनता है। इससे महिलाएं अपनी उपस्थिति के बारे में अपर्याप्त और आत्म-जागरूक महसूस करती हैं।
नकारात्मक शारीरिक छवि
आदर्शीकृत सौंदर्य छवियों के संपर्क में आने से नकारात्मक शारीरिक छवि संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। जिससे महिलाएं अपने शरीर से असंतुष्ट महसूस करती हैं और खान-पान संबंधी समस्याएं या शारीरिक विकृति विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
अनुरूप होने का दबाव
महिलाएं इन ब्यूटी स्टैण्डर्डों के अनुरूप होने के लिए दबाव महसूस करती हैं। जिससे इन आदर्शों को पूरा करने के प्रयास में अत्यधिक आहार-विहार, अत्यधिक व्यायाम और यहां तक कि प्लास्टिक सर्जरी जैसे अस्वास्थ्यकर व्यवहार तक अपनाने को तैयार हो जाती हैं।
कम आत्म-सम्मान
इन अवास्तविक ब्यूटी स्टैण्डर्ड की लगातार तुलना आत्म-सम्मान और आत्म-मूल्य को कम कर सकती है। क्योंकि महिलाएं यह मान सकती हैं कि वे सुंदरता के समाज के मानकों पर खरी नहीं उतरती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
अप्राप्य ब्यूटी स्टैण्डर्डों की खोज महिलाओं में टेंशन, डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान करती है। एक निश्चित तरीके से देखने का लगातार दबाव भावनात्मक रूप से परेशान करने वाला होता है।
महिलाओं के लिए यह बात समझना बहुत ही जरूरी है कि ब्यूटी स्टैण्डर्ड को मैच करना ही सब कुछ नहीं है। अलग-अलग जगहों पर हमारी अलग मान्यताएं होती हैं और उसके हिसाब से जरूरतें भी होती हैं। कोई जरूरी नहीं है कि दुनिया जो चाहती है आप उसके पीछे जाएँ। आप अपने आप को अपने हिसाब से अपनी जरूरतों के हिसाब से अपना सकती हैं और आप जो कुछ स्वयं हैं वहीं सुन्दरता का सबसे अच्छा रूप है और इसे अपनाने से ही आपका आत्म-विश्वास बढेगा। झूठे ब्यूटी स्टैण्डर्ड के पीछे भागने से महिलाओं के आत्म-सम्मान पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।