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Independent India: क्या आज़ादी के इतने सालों बाद हम सच में आज़ाद हैं?

इश्यूज | ओपिनियन: कहने को तो प्रतिवर्ष हम अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं पर आप खुद ही अपने आस-पास के वातावरण को देखिए और सोचिए कि कितने मायनों में हम आज भी परतंत्र हैं!

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Sukanya Chanda
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Are We Really Independent After So Many Years Of Independence? (image credit- Governance Now)

Are We Really Independent After So Many Years Of Independence: आज हम आज़ादी के 76 वर्ष की पूर्ति पर जश्न मनाएंगे तिरंगा लहराएंगे और इस उत्सव में अपने भारत पर गर्व होने की गाथा दोहराएंगेI परंतु क्या मूल्य उस आज़ादी का जहां कोई भी अपने विचारों को खुलकर व्यक्त नहीं कर सकता? जहां आज भी लड़कियों से उनकी स्वतंत्रता ऐसी छीन ली जाती है मानो उनसे ज़्यादा उनके जीवन पर किसी और का हक है वैसे ही जैसे हम भारतीयों पर अंग्रेजों ने अपना हक समझाI

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क्या सही मायनों में हम आज भी स्वतंत्र हैं?

1. महिलाओं की सुरक्षा

जहां हम आज़ादी के बड़े-बड़े नारे लगाते हैं वहीं कोई भी महिला आज भारत में पूरी तरह से खुद को आज़ाद महसूस नहीं करतीI भारी दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि जहां लक्ष्मी बाई जैसी वीरांगना हमारे देश के लिए लड़ी हैं उस देश में कितने वर्षों बाद भी औरतों की हैसियत पिंजरे में कैद पक्षी जैसी बनकर रह गई हैI आज भी कई जगह महिलाओं को अपना सपना पूरा करने की, अपने मनपसंद वस्त्र पहनने की आज़ादी नहीं दी जातीI यहां तक की रात को घर लौटते वक्त वह खुद को असुरक्षित महसूस करती हैंI क्या यह परतंत्रता के चिह्न नहीं हैं?

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2. स्वतंत्र आवाजों को दबाए रखना

किसी भी स्वतंत्र देश में अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करने की आज़ादी अवश्य दी जाती है चाहे वह कोई आम जनता हो या फिर कोई नेताI आज हम सोशल मीडिया की दिशा से काफ़ी उन्नत तो अवश्य हो गए हैं लेकिन अभी भी हमारे विचार बंद दरवाज़े के उस पार रह गए हैं जिन्हें खुलकर सामने आने की इजाज़त हरगिज़ नहीं हैI यदि कोई अन्याय का खुलकर विरोध करे तो उस आवाज़ को सदैव के लिए दबा दिया जाता है ताकि किसी लोकप्रिय हस्ती का नाम बदनाम ना हो और कोई दूजा उसके विरोध बोलने से डरेI

3. अशिक्षा एवं गरीबी का शिकार

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यदि आप अपने घर से निकल कर रास्ते पर जाएँ तो आपको किसी ना किसी मोड़ पर एक भिखारी अवश्य दिखेगाI ऐसे कई सहस्त्र गरीबों से भरा है हमारा देश जहां खाने के एक अन्न के लिए वह प्रतिदिन दर-दर की ठोकरें खाते हैंI परंतु ऐसी मुश्किल क्यों? जाहिर सी बात है जहां पर शिक्षा की कमी होती है वहां गरीबी अपने आप घर कर जाती हैI गरीबी एवं शिक्षा यह दोनों समस्याएं अपने आप जुड़ी हुई हैI गरीबी के कारण माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते और अशिक्षा के कारण उन्हें गरीबी का सामना करना पड़ता है जिस कारण एक दूसरी तीसरी समस्या का जन्म होता है और वह है बेरोज़गारीI

4. बेरोज़गारी

आज हमारे देश में न जाने कितने सारे बेरोज़गार हैं जिन्हें अपने परिवार को संभालने के लिए अच्छी नौकरी नहीं मिल रही हैI क्या इनमें सभी ही सब के सब अशिक्षित है? जी नहीं! यह समस्या केवल अशिक्षित जनता की ही नहीं बल्कि शिक्षित जनता को भी इसका सामना करना पड़ता है ऐसे कितने ही पढ़े लिखे व्यक्ति हैं जो नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैंI कहीं पर कोटा के कारण योग्य व्यक्तियों को नौकरी मिलते मिलते रह जाती है तो कहीं पर ज्यादा पैसे खिलाकर अयोग्य व्यक्ति किसी से उसका अपने पैरों पर खड़ा होने का अवसर छीन लेते हैं जिसे हम साफ शब्दों में भ्रष्टाचार कहते हैंI

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5. भ्रष्टाचार

यह तो आम बात हो कर रह गई है आजकल हर पल, हर जगह भ्रष्टाचार होते दिख रहे हैं परंतु इसके विरूद्ध कोई अपनी जुबान क्यों खोलेगा? जब अमीर व्यक्ति ज्यादा पैसे देकर घूस देते हैं तो हमारे जैसे व्यक्ति भी इसका लाभ उठाते हैंI ना वह इसके विरुद्ध कुछ कहने जाएंगे और ना हम इस स्वर्ण अवसर को ठुकराएंगेI परंतु ऐसा करते-करते न जाने कितने ऊंचे तबके के लोग अपने से नीचे तबके के लोगों के मुंह बंद करवा देते हैं और उनके साथ अन्याय होते रहते हैं क्योंकि आज की दुनिया में यदि आपके पास पैसा ना हो तो चाहे आप अच्छे हों या बुरे, सच्चे हो या झूठे इससे कोई फर्क नहीं पड़ताI जिससे वर्ग भेद जैसे समस्या उत्पन्न होती हैI

6. वर्ग भेद एवं जाति प्रथा

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वर्ग-भेद करना हमारे समाज की पुरानी रीति है चाहे वह वर्ग हो या फिर जातिI सदियों से अमीर, गरीब को और ब्राह्मण, शूद्र पर अत्याचार करते आए हैंI पैसे एवं जाति के नाम पर मासूम इंसानों पर अन्याय किया जाता है और उनके खुलकर जीने पर पाबंदी लगाई जाती हैI यह सब किस लिए? क्योंकि उनके पास ना ही पैसे हैं और ना ही वह ऊंची जाति के हैंI यह कहने में हमें खेद होना चाहिए कि आखिर किस लिए हमारे वीरों ने हमें स्वतंत्रता दिलाने के लिए लड़ाई की यदि हम अपने मन को इन रूढ़िवादी विचारों से ही आज़ाद ना कर पाए?

भारत स्वतंत्र बेरोज़गारी लक्ष्मी बाई
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