Atrocity Against Women: औरतों के साथ होने वाली घटनाओं की संख्या असीमित है। हर दिन ऐसी घटनाएँ होती हैं जो औरतों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं। जब भी कहीं पर दंगे या जंग होती है एक जंग बाहर हो रही होती है और एक औरतों के सीने पर। यह कोई नई बात है। ऐसा सदियों से होता आ रहा है। यह आप बहुत छोटे स्तर पर भी देख सकते हैं। मर्द को ग़ुस्सा अपने काम का होता है निकालेगा औरत पर। दो मर्दों की लड़ाई में भी औरत को बीच में खींचा जाएगा। उसको रेप की धमकियाँ जायेंगी।
कब बंद होगा औरतों के साथ अत्याचार?
हमारे समाज की एक त्रासदी है कि हम कभी औरत को समझ ही नहीं पाए हैं।औरत को एक वस्तु समझा जाता है जिसको कभी भी अपने हिसाब से आप इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ समय पहले मणिपुर (manipur) में वह पूरी तरह से शर्मनाक था। 2 औरतों को नंगा करके घुमाया गया। भारत को सभ्य देश माना जाता है लेकिन हमें सभ्यता तब याद आती है जब औरतों की बात होती है लेकिन मर्दों के द्वेष कार्य भी हम सब सहन कर जाते हैं।
औरत के ऊपर हैवानियत के क़िस्से कई हैं लेकिन उन पर बात कोई नहीं करता है। हम लोग इन चीजों को देखकर अनदेखा कर देते हैं। औरतों के साथ हो रहे अत्याचार हमें नॉर्मल लगते हैं। आम लोगों की यही धारणा है कि इतना तो औरतों को सहन करना ही पड़ता है। औरत होकर इतना नहीं सहन कर सकती है। अगर आज की औरतों ने ज़िंदगी को अपने हिसाब से जीना शुरू कर दिया है तो क्यों हमसे वह बर्दाश्त नहीं होता है। जो औरतें आज़ादी से ज़िंदगी जीती हैं हम उन्हें अलग अलग नामों से बुलाते हैं।
औरत के ऊपर ही लगाए जाते हैं सब नियम
- हमारे समाज में शादी के समय भी लड़की को बहुत सारी चीजों से गुजरना पड़ता है जैसे लड़की का रंग साफ़ हो, लड़की ज़्यादा मोटी ना हो, खाना बनाना आता हो। घर के साथ काम भी करें। शादी के बाद बच्चे के लिए राज़ी हो जाए।
- औरत को बात-बात पर जज किया जाता है। कपड़े छोटे पहन लिए तो पक्का इसके कैरिक्टर में ख़राबी होगी अगर पूरे ढके कपड़े पहन लिए तो मॉडर्न नहीं होगी। ज़्यादा खुलकर रहती है तो इसको तो हवा लग गई है।
- लड़कों से ज़्यादा बात तो नहीं करती ना, खाना बनाना तो आता है ना, ऑफ़िस भी जाएगी घर का भी ध्यान रखेगी। अगर बच्चा नहीं हुआ तो लड़की बाँझ होगी क्यूँकि लड़के में ती दोष हो नहीं सकता है। मेकअप तो ज़्यादा नहीं लगाती। शरीफ़ घर की लड़कियाँ रात को बाहर नहीं रहती। शादी से पहले सेक्स तो नहीं किया।
- अगर हम चाहते हैं समाज में बदलाव आए और औरतों के साथ अत्याचार कम हो तो हमें लड़कियों से ज़्यादा लड़कों को शिक्षा देने की ज़रूरत है। उन्हें औरतों की इज्जत करना सिखाना होगा तभी बदलाव आएगा।