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औरतों का सम्मान करें, नाकि उनके मैरिटल स्टेटस का

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Swati Bundela
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हम बचपन से देखते आए हैं कि एक उम्र के बाद सोसाइटी सिंगल लड़कियों को ऐसे देखती है जैसे कि उन्होंने अब तक शादी न करके कोई गुनाह ही कर लिया हो। "तुम कब शादी कर रही हो?", " अब तक कोई मिला नहीं क्या?", " 30 की हो गई हो,अब कौन तुमसे शादी करेगा?" और न जाने क्या क्या सुनना पड़ता है। एक औरत सिंगल हो, शादीशुदा हो, विधवा हो या अपने पति से अलग रहती हो, सम्मान की हकदार है।

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सिंगल लड़कियों को गिल्टी फील न कराएं



चाहे आप सिंगल अपनी मर्जी से हैं या मजबूरी से, सोसाइटी को इसके पीछे की वजह जाने में कोई इंटरेस्ट नहीं होता। उसे तो बस आपकी खामियाँ व कमजोरियाँ कुरेद-कुरेद के निकालने में मजा आता है। "35 साल की हो गई हो, पर अब तक शादी नहीं करी, मतलब जरूर कुंडली में कुछ ना कुछ तो दोष है। इसका दो बार तलाक हो गया है, मतलब पक्का इसके व्यवहार में कोई ना कोई दिक्कत है। इसके पति को गुजरे 5 साल हो गए हैं, अब तो इसे दूसरी शादी कर लेनी चाहिए"। ये सब कहना बंद कीजिए। आपको कोई हक नहीं बनता।

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अपने सिंगल होने की वजह सबको बताने की ज़रूरत नहीं



क्या आप यह जानते हैं कि हमारी सोसाइटी के पास कई कई तरीके है सिंगल औरतों को यह बताने के कि उनकी लाइफ में शायद कुछ कमी है या कुछ गलत है अगर वे शादीशुदा नहीं है तो। हमारे समाज को यह लगता है कि अगर किसी लड़की की जिंदगी में कोई मर्द नहीं है उसे प्रोटेक्ट या गाइड करने के लिए तो सोसाइटी को ही यह काम करना चाहिए। आज भी हमारी सोसाइटी में कुछ ऐसे लोग ,हैं जो औरतों को कमजोर समझते हैं। वे समझते हैं कि औरत अपने खुद के बलबूते पर अपनी जिंदगी सवार नहीं सकती।

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सिंगल औरतों को मोरल पुलिसिंग का सामना करना पड़ता है



तुम कहां गई थी? किससे मिलने गई थी? इतनी देर से क्यों घर लौट रही हो? तुम उससे क्या बात कर रही थी? तुम यह क्या कपड़े पहनती हो? अक्सर औरतों की जिंदगी में उनके आसपास के लोग उन पर कड़ी निगरानी रखते हैं और अगर उनके तय किए हुए पैमाने पर वें खरी नहीं उतरी तो फिर उनके कैरेक्टर पर सवाल उठाए जाते है। किसी और की जिंदगी में इंटरफेयर करने से पहले खुद के गिरेबान में झांक कर देखिए। औरतों का सम्मान 
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अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का हक



अपनी लाइफ अपनी शर्तों पर जिए। औरतों को अपनी शारीरिक,
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मानसिक और आर्थिक जरूरतों को अपनी मर्ज़ी से पूरा करने का अधिकार है। वें कहां जाती है? किस से मिलती है? क्या करती हैं? वापस घर लौट कर कब आती है? इन चीजों पर टिप्पणी करने या नजर रखने का किसी को भी हक नहीं है।

औरतों को तो चाहिए बस सम्मान

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अगर किसी औरत की जिंदगी में मर्द नहीं है, तो इसका यह अर्थ नहीं कि वह सोसाइटी की प्रॉपर्टी बन जाती है। समाज यह भूल जाता है कि जो औरत अपना घर खुद चलाती है, जो अपने लिए खुद कम आती है, जो अपने और अपने परिवार का ध्यान भी खुद रखती है, उन्हें अच्छे और बुरे की भली भांति समझ है। अगर उन्हें सोसाइटी से कुछ चाहिए तो वह है सम्मान। सिंगल औरतों की लाइफ में सम्मान की कमी ही एक वजह है कि सोसाइटी जब चाहे तब उनकी लाइफ में इंटरफेयर करना सही समझती है।



कमाल की बात है, एक औरत को समाज में सम्मान का पात्र बनने के लिए शादीशुदा होना ज़रूरी है। इसी सोच को बदलने की सख्त ज़रूरत है। आपके अचीवमेंट्स, आपकी खूबियां, अच्छाइयां, यहां तक कि आपका पे चेक भी सोसाइटी के लिए कोई मायने नहीं रखता।
सोसाइटी नारीवाद औरत का सम्मान
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