Changes In Workplace: यह चीज़ें बदलने से महिलाएँ शुक्रगुज़ार होंगी

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Monika Pundir
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आज के ज़माने में बहुत सारे औरतों को फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस और स्वतंत्रता मिल रही है। बहुत सारे पुरुष और परिवार हैं जिन्हें वर्किंग पत्नी से कोई समस्या नहीं है। काफी प्रतिशत लड़कियों को पढाई के अवसर भी दिए जा रहे हैं। फिर भी, वर्कप्लेस में ऐसी कुछ चीज़ें हैं जिनमें बदलाव लाने से महिलाओं को ख़ुशी होगी। वे क्या हैं, जानने के लिए इस ओपिनियन ब्लॉग को आगे पढ़ें-

वर्कप्लेस की यह चीज़ें बदलने से महिलाएँ शुक्रगुज़ार होंगी:

1. कैज़ुअल सेक्सिस्म कम होना 

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दुर्भाग्य से आज भी हमारे समाज में सेक्सिज़म की कमी नहीं है और इस सेक्सिस्म को वर्कप्लेस में भी पाया जाता है। हम लोगों को बात करते हुए सुनते हैं की अगर एक औरत किसी पर गुस्सा हो गयी है तो शायद वह पीरियड पर होगी। अगर एक औरत भी मीटिंग में आ रही है तो उसे दूसरों के लिए चाय कॉफी लेन कह दिया जाता है। 

स्कूलों में भी हम बच्चों को अपने महिला टीचर्स के खिलाफ सेक्सिस्ट कमेंट्स देते हुए सुनते हैं। इन चीज़ों को बदलना होगा।

2. पुरुषों का महिलाओं का साथ देना 

अगर कोई पुरुष कोई सेसिस्टस कमेंट सुनते हैं, जो महिलाओं के खिलाफ है, अधिकतर समय वे थोड़ा मुस्कुरा देते हैं क्योंकि वे झगड़ा नहीं चाहते। इससे औरतें अकेला पड़ जाते हैं। अगर पुरुष महिलाओं का साथ दे, और सेक्सिस्म के खिलाफ आवाज़ उठाए, तो महिलाओं को अपने काम में बहुत सुविधा होगी।

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(लेखक के दोस्त के साथ हुई घटना का स्क्रीनशॉट)

3. सेक्सुअल हरासमेंट कम होना 

इसमें चौंकाने वाली बात कुछ भी नहीं है की औरतों को वर्कप्लेस सेक्सुअल हरासमेंट से डर लगता है, और हरसमेंट के कारण कई औरतें अपनी नौकरी छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं। मेरी अपनी माँ ने इसका सामना किया है, पर उनकी कंपनी ने उस व्यक्ति पर जल्द एक्शन लिया था। कई औरतें आवाज़ उठाने से भी डरती हैं, अलग अलग हालातों के वजह से। 

4. हरासमेंट के विरुद्ध ज़्यादा एजेंसी 

लगभग हर ऑर्गनिज़शन में हरस्मेंट के विरुद्ध आप केवल एच आर के पास जा सकते हैं। हमें और एजेंसी की ज़रूरत है जो न केवल कम्प्लेंट्स पर एक्शन लेती है, बल्कि ऐसा होने से भी रोकती, या संभावना कम करती है। वर्कप्लेस कंडक्ट(आचरण) पर सेमीनार या न्यूज़लेटर निकाला जाना चाहिए ताकि हर जेंडर और लिंग के लोगों के लिए अपना काम करना आसान हो।

5. ज़्यादा पैटर्निटी लीव 

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यह सुनने में अजीब लग सकता है क्योंकि अब तक शायद अपने फेमिनिस्ट्स के मुँह से केवल मैटरनिटी लिव और माँ की सुविधा के बारे में बात करते हुए सुनी होगी। मेरी ओपिनियन में मैटरनिटी लीव के साथ पैटर्निटी लीव भी ज़रूरी है। आपको छह महीने की छुट्टी देने की ज़रूरत नहीं है, पर 15 दिन बहुत कम है। अगर आप पिता को कम से कम एक-डेढ़ महीने छुट्टी लेने दें तो यह उन्हें उनकी बच्चों की परवरिश करने में मदद करेगा, और बच्चे की माँ को भी थोड़ा आराम मिलेगा। साथ ही, जिन कंपनी में माता बच्चे को साथ ला सकती है, उन कंपनी में पिता के लिए भी समान नियम होने चाहिए ताकि दोनों अपने बच्चे की परवरिश कर सके और उसके साथ समय बिता सके।

साथ ही यह री-इन्फोर्स करेगा की पुरुषों पर भी घर, बच्चे और बूढ़े माता पिता का ध्यान रखने की ज़िम्मेदारी होती है।

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