Is It Love Or Lust?: 'लव' और 'लस्ट', दोनों के उच्चारण में जितना अंतर है, इन दोनों के एहसास में उतनी ही समानताI आप कहेंगे की दोनों के अर्थ में ज़मीन-आसमान का फर्क है, दोनों के एहसास बिल्कुल जुदा है तो फिर यह समान कैसे? दुख की बात यह है कि वर्तमान समय में, हमारे जेनरेशन के समझ में इन दोनों के बीच का अर्थ एक सा हो गया हैं और इनके बीच का अंतर कहीं ना कहीं मिटता जा रहा हैI यंग जेनरेशन अपनी वासनाओं को भावनाओं का रूप देने लगते हैं और तभी लस्ट हमारे लिए लव बन जाता है और हमारे लिए इन दोनों के बीच का फर्क मिट जाता हैI कहने को तो हम कैप्शन में "डिपली इन लव!" का टैग दे देते हैं लेकिन कमिटमेंट के नाम से डरते हैं और 'रिलेशनशिप', 'सिचुएशनशिप' बन जाती हैI
क्या अंतर है लव और लस्ट में?
जब आप किसी को चाहते हैं, उनके स्वभाव से आकर्षित होकर, उनके विचारों से जुड़कर, आप अंदर ही अंदर उनकी कदर करने लगते है और उनका सम्मान करते लगते हैI वह होता है प्यार लेकिन जब आप केवल उनके लुक्स को देखकर प्रभावित होते हैं और आपको वह चाहिए क्योंकि आप खुद को तन्हा महसूस करते है तो वह प्यार नहीं अपितु आपकी वासना हैI प्यार वह है जिसमें आप एक दूसरे की भलाई के बारे में सोचे लेकिन वासना में अपनी भलाई सर्वप्रथम आती हैI अब आप कहेंगे कि "आकर्षण तो प्यार में भी होता है?" लेकिन प्यार में आकर्षण एक दूसरे की भावनाओं के प्रति होता है जबकि वासना ज्यादातर शारीरिक आकर्षण से जुड़ी होती हैI आज के दौर में यह अंतर कहीं मिट सा गया है क्योंकि आज हम अपनी कामनाओं को निस्वार्थ प्यार का आकार देने लगते हैं और जब यह कामना पूरी हो जाती है तो कहते हैं कि "शायद हमारे प्यार की उम्र बस इतनी ही थीI"
क्या उम्र होती है प्यार की?
अकेलेपन से जन्मा प्यार, प्यार नहीं बल्कि 'लस्ट' हैI यह सुनने में जितना अजीब है उतना ही सच भी है जब हमारे मन में अकेलापन घर कर जाता है तब हम अंदर से दुखी हो जाते हैं और तब हमारे जीवन में किसी भी रिश्ते की शुरुआत भला खुशहाल कैसे हो सकती है? रिश्ता वह है जहां आपका एक दूसरे के साथ विकास हो ना ही आपका अकेलापन दूर होI तब वह प्यार नहीं बल्कि 'टाइम पास' होता है और समय का क्या? एक समय के बाद जब आपका अकेलापन दूर हो जाए, आपकी वासनाएं मिट जाए, तब वह प्यार भी खत्मI प्यार में आप एक दूसरे के साथ उम्र भर गुज़ारने का सपना देखते हैं लेकिन वासना तो बस कुछ पल का होता है क्योंकि आपकी चाहत मिट सकती है लेकिन भावनाएं कभी नहीं मिटतीI
क्या प्रभावित करती है हमारे अंदर के लस्ट को?
यदि लस्ट अकेलेपन से जन्म लेता है तो अकेलापन किससे जन्म लेता है वह है, आज के ज़माने में हम सबके बीच बढ़ती दूरियांI हम जितना ऑनलाइन कनेक्ट होते हैं, ऑफलाइन उतना ही दूर होते जाते हैंI किसी को एक साथ देख हमारे मन में भी किसी का साथ पाने की लालसा जगती है लेकिन हमारे पास किसी को समझने का और उन्हें जानने का समय नहींI स्क्रीन में चलती फिल्मों में हीरो-हीरोइन को करीब आते देख हम उस तरह की फेंटेसी अपने जीवन में भी चाहते हैं लेकिन सच पूछे तो प्यार इन सब से पड़े हैंI दुख की बात है कि हममें से किसी के पास भी इतना धैर्य नहीं कि हम हमारे भावनाओं को गंभीरता से जाने कि किसी दूसरे के प्रति हमारा लगाव प्यार है कि लस्ट? यह जाने की लस्ट तो शारीरिक है जिसमें भावनाओं की कोई जगह नहीं और जहां पर भावनाएं नहीं वह हम मन से खुश कैसे रह सकते हैं? प्यार तो वह है जो हमें आत्मा से जोड़ता है जहां हम तन-मन से खुश होते हैंI