Girls & Discrimination: शिक्षा मनुष्य के रूप में जन्मे हर एक व्यक्ति के लिए एक मौलिक अधिकार है। ज्ञान प्राप्त करना शिक्षा पाना एक मूल अधिकार है फिर भी हमारे समाज में शिक्षा को लेकर भी भेदभाव किया जाता है। लड़कियां या महिलाएं जिनके माध्यम से ही इस समाज और दुनिया का निर्माण सम्भव है उन्हें ही इससे वंचित रखने की भरपूर कोशिश की जाती है और यह समस्या किसी एक समाज की नही है यह समस्या आपको पूरी दुनिया के लोगों के बिच देखने को मिल जायेगी। अगर हम बात अपने भारतीय समाज की करें तो यहाँ अक्सर लड़कियों को जब शिक्षित करने की नौबत आती है तो लोग सवाल खड़े करना शुरू कर देते हैं कि लड़कियों की शिक्षा पर पैसे बर्बाद क्यों करे हैं आखिर इन्हें शादी करके दूसरे के घर जाना है। क्या सच में सिर्फ इसलिए लड़कियों को न शिक्षित करना ठीक है कि उन्हें शादी करके दूसरे के गहर को जाना है? आइये इस आर्टिकल में समझते हैं महिलाओं के साथ शिक्षा को लेकर हो रहे भेदभाव को-
लड़कों की शिक्षा जरूरी और लड़कियों की शिक्षा पैसे की बर्बादी क्यों?
(Discrimination Between Girls And Boys Regarding Education)
दुनिया भर के समाजों में, शिक्षा की ओर एक लड़की की यात्रा अक्सर पितृसत्तात्मक मानदंडों में गहराई से निहित भेदभावपूर्ण बाधाओं से जुड़ी होती है। यह कथन, "जब एक लड़का पढ़ता है, तो वह बुढ़ापे में सहारा बनता है, जब एक लड़की पढ़ती है, तो यह पैसे को आग लगाने जैसा है," कई संस्कृतियों में लड़कियों को शिक्षित करने के खिलाफ प्रणालीगत पूर्वाग्रह को दिखाता है। शिक्षा को लंबे समय से सशक्तीकरण के मार्ग के रूप में देखा जाता रहा है, फिर भी अनगिनत लड़कियों के लिए, यह सामाजिक पूर्वाग्रहों के कारण एक दूर का सपना बना हुआ है। लड़कों और लड़कियों की शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण में असमानता समुदायों के भीतर व्याप्त व्यापक लैंगिक असमानताओं को दर्शाती है, जो भेदभाव के सायकल को कायम रखती है और प्रगति में बाधा डालती है।
हम सभी अपने आस-पास के लोगों को देखने और उन्हें जब समझने की कोशिश करते हैं तो चाहे हमारे समाज के लोग हों या फिर परिवार के लड़का होने के बाद से ही उसकी शिक्षा और भविष्य के लिए तैयारियां शुरू कर देते हैं जबकि लड़की होती है तो उसके पालन पोषण और शादी की और ध्यान दिया जाता है। आखिर भविष्य दोनों का है फिर लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान क्यों नही दिया जाता ह और यदि कोई माता-पिता अपनी बेटियों को शिक्षित करने की और कदम बढाते हैं तो समाज में मौजूद लोग उन्हें यह कहकर रोकने की कोशिश जरुर करते हैं कि यह तो पैसे की बर्बादी है आखिर लड़की को जाना तो ससुराल ही है।
क्या शिक्षा को लेकर किया जा रहा फर्क सही है?
अगर हम इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करें कि क्या शिक्षा को लेकर किया जा रहा भेदभाव सही है तो इसका सीधा सा जवाब है नही. बल्कि लड़कियों को शिक्षा की अधिक आवश्यकता है. ना सिर्फ इसलिए कि वे आगे बढ़ सकें बल्कि इसलिए भी ताकि आने वाली पीढियां और भविष्य भी बेहतर हो सके. शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सशक्त बनाना न केवल न्याय का मामला है बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक भी है। रिसर्च से पता चला है कि शिक्षित लड़कियों की देर से शादी करने, कम बच्चे पैदा करने और अपने समुदाय में सकारात्मक योगदान देने की संभावना अधिक होती है। लड़कियों की शिक्षा में निवेश करने से, समाज को अधिक कुशल और सशक्त कार्यबल, बढ़ी हुई आर्थिक उत्पादकता और बेहतर सामाजिक कल्याण से लाभ होता है। इसलिए समाज में लड़कियों के साथ शिक्षा को लेकर हो रहे भेदभाव को रोकने और लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने की अधिक आवश्यकता है।