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Do Women Still Need Permission? हम लोगों ने अपने आसपास बहुत सुना है कि महिलाएं अक्सर यह कहती हैं कि मेरे पिता ने मुझे बहुत आजादी दी या फिर मेरे पति ने मुझे कभी भी कुछ भी करने से नहीं रोका लेकिन ऐसी बातों की समाज में जरूरत क्यों पड़ती है या फिर एक महिला को यह क्यों लगता है कि उसके पिता, पति या फिर भाई का मानना बहुत जरूरी है। क्या पुरुषों को यह लगता है कि उन्हें अपनी जिंदगी में कुछ करने के लिए महिलाओं से उनकी इजाजत लेने की जरूरत होती है? ऐसा नहीं होता है। यह सिर्फ महिलाओं के साथ होता है। चलिए आज इसके पीछे की सच्चाई जानते हैं-
मेरे पति ने मुझे आजादी दी है! लेकिन क्या अभी भी महिलाओं को पुरुषों से आजादी मांगनी पड़ेगी?
क्या कभी आपने सोचा है कि हम जो जिंदगी जी रहे होते हैं, उस पर हमसे ज्यादा बहुत सारे लोगों का अधिकार होता है। ऐसे बहुत कम लोग है जो अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीते हैं या फिर उन्हें दूसरे लोगों से वैलिडेशन की जरूरत नहीं पड़ती। हमारे समाज में महिलाओं के पास 'एजेंसी' बहुत कम है। उन्हें हर चीज के लिए पुरुषों के ऊपर निर्भर होना पड़ता है या फिर वह अपने फैसलों के लिए भी दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है। उनके फैसले इस बात से प्रभावित होते हैं कि समाज क्या सोचेगा या फिर परिवार की इज्जत का बोझ उन पर है। इस वजह से जब कोई महिला कमाने लग जाती है या फिर अपनी मनपसंद के कपड़े पहनती है तो उसका कहना होता है कि मेरे घर वालों ने तो मुझे आजादी दी हुई है जबकि उन्हें आजादी देने का अधिकार किसी की पास नहीं है।
किसी से आजादी मांगने की जरूरत नहीं
यह बात को समझने में बहुत सारी महिलाओं को देर हो जाती है कि वह अपनी मर्जी से भी कुछ भी कर सकती हैं। इसके साथ ही उन्हें किसी की इज्जत का बोझ लेने की कोई जरूरत नहीं है। सदियों से महिलाओं को इस बात से प्रताड़ित किया जा रहा है कि अगर यह किया तो घर की इज्जत चली जाएगी या फिर परिवार का नाम बदनाम होगा। क्या पुरुषों से घर की इज्जत नहीं बनती? क्यों हम इस बात से महिलाओं को टॉर्चर या फिर ब्लैकमेल करते हैं? क्योंकि यह आसान होता है। पितृसत्तात्मक सोच का सबसे ज्यादा फायदा पुरुषों को ही मिलता है क्योंकि इससे उन्हें आजादी मिलती है कि वह महिलाओं को नीचा दिखा सके या फिर उन्हें डोमिनेट कर सके।
इसलिए महिलाओं का समझना बहुत जरूरी है कि वह इस बात को समझे कि कोई भी व्यक्ति उन्हें आजादी नहीं दे सकता है बल्कि वह अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जी सकती हैं। उन्हें हर चीज के लिए किसी को जवाब देने की जरूरत नहीं है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया या फिर उन्होंने ऐसे कपड़े क्यों पहने या फिर उनके मेल फ्रेंड्स क्यों हैं। उन्हें सिर्फ खुद को जवाब देना है। अगर उन्हें कोई चीज नहीं अच्छी लगती है तो भी बिल्कुल ठीक है। अगर वह कुछ करना चाहती हैं तो भी उन्हें किसी से पूछने की या फिर इजाजत लेने की जरूरत नहीं होती है। यह बात बहुत जरूरी है कि पुरुष सबसे ज्यादा पावरफुल नहीं है। हमारे समाज में बराबरी तब ही आप आएगी जब महिलाएं पुरुषों के सामने झुकना छोड़ देंगी और पुरुष महिलाओं को कंट्रोल करना छोड़ देंगे।