Let's Talk Openly: क्या संस्कारी बनने का बोझ महिला को फेक ऑर्गेज्म के लिए मजबूर करता है?

फेक ऑर्गेज्म एक ऐसा विषय है जिसके बारे में ज्यादा खुलकर बात नहीं की जाती है। ऐसे में बहुत सारी महिलाएं बेडरूम में ऑर्गेज्म का ढोंग करती हैं जिसकी वजह से उनकी शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं होती हैं-

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Rajveer Kaur
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Image Credit: Vogue India Via Lust Story

Does Being 'Sanskaari' Force Women into Fake Orgasms? फेक ऑर्गेज्म एक ऐसा विषय है जिसके बारे में ज्यादा खुलकर बात नहीं की जाती है। ऐसे में बहुत सारी महिलाएं बेडरूम में ऑर्गेज्म का ढोंग करती हैं जिसकी वजह से उनकी शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं होती हैं। यह सोचने वाली बात है कि आखिर महिलाएं ऐसा करने के लिए क्यों मजबूर है या फिर क्यों वह अपने पार्टनर के साथ अपनी शारीरिक जरूरत के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाती है क्यों आज भी महिलाएं प्लेजर से वंचित हैं?

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क्या संस्कारी बनने का बोझ महिला को फेक ऑर्गेज्म के लिए मजबूर करता है?

क्या इसकी वजह संस्कारी लड़की होना है?

आप भी सोच रहे होंगे कि बात फेक ऑर्गेज्म की हो रही है लेकिन संस्कारी लड़की होना इसकी वजह कैसे हो सकता है? हमारे समाज का महिलाओं को लेकर रवैया काफी समस्यात्मक है?बचपन से ही एक महिला को संस्कारी बनाया जाता है। अब यहां पर सारे संस्कार महिलाओं के लिए ही होते हैं। शुरुआत से ही बताया जाता है कि सेक्स के बारे में बात करना अच्छी बात नहीं है। हमेशा ही ऐसे टॉपिक को लेकर एक स्टिग्मा क्रिएट किया जाता है जिसकी वजह से महिलाओं को लगता है कि अगर हम अपने पार्टनर के साथ सेक्स के बारे में बात करेंगे या फिर उन्हें अपनी इच्छाओं के बारे में बताएंगे तो वह हमें गलत समझेगा या फिर हमारे चरित्र पर सवाल उठाएगा। इस संस्कारी लड़की की इमेज को बचाते हुए महिलाएं बेडरूम में फेक ऑर्गेज्म का शिकार होती हैं।

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इसी विषय को लेकर मैंने जब वैशाली गर्ग से बात की तो उन्होंने बताया "कई भारतीय महिलाएं नकली ऑर्गेज्म के बारे में बात करने से हिचकिचाती हैं क्योंकि हमारे समाज में सेक्स पर खुलकर चर्चा करना अब भी एक टैबू है। बचपन से ही उन्हें सिखाया जाता है कि उनकी इच्छाओं और संतुष्टि से ज्यादा जरूरी उनके पार्टनर की खुशी है। वहीं, कई बार वे अपने रिश्ते को बचाने या पार्टनर की भावनाओं को ठेस न पहुंचाने के लिए भी इस पर बात नहीं करती। जागरूकता और खुली बातचीत की कमी भी इसकी एक बड़ी वजह है"।

महिला को सुरक्षित महसूस नहीं होता 

एक अन्य महिला से हमने बात की लेकिन उन्होंने नाम बताने के लिए मना किया है, उन्होंने बताया "महिलाएं खुद को जज किए जाने के डर से मुक्त महसूस करेंगी, तो वे अपने पार्टनर से खुलकर बात कर पाएंगी। इसके लिए सबसे जरूरी है कि रिश्ते में आपसी समझ और कम्युनिकेशन मजबूत हो। अगर पुरुष साथी भी महिला की इच्छाओं और संतुष्टि को उतना ही जरूरी समझें, तो यह बातचीत आसान हो सकती है। साथ ही, सेक्स एजुकेशन और महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने वाली चर्चाएं भी मददगार साबित हो सकती हैं।

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रिश्ता बचाने के लिए भी करना पड़ता है फेक ऑर्गेज्म

यह भी हैरानीजनक बात है कि आज भी महिलाओं को रिश्ता बचाने के लिए चुप रहना पड़ता है। इसके लिए उन्हें सब कुछ सहन करना पड़ता है। ऐसे ही जब बेडरूम में महिलाएं अपनी शारीरिक जरूरत के बारे में बात नहीं करती हैं तो इससे उनके मन में यह भाव उठता है कि अगर हम पार्टनर को यह बताएंगे कि हम अभी संतुष्ट नहीं है या फिर हमें ऑर्गेज्म नहीं हुआ है तो इससे वह हमें छोड़ कर जा सकता है या फिर हमें उनकी तरफ से धोखा मिल सकता है।

एक रिसर्च में दक्षिण-पूर्वी USA की विश्वविद्यालयों और आस-पास के समुदायों से लॉन्ग टर्म रिलेशन में 453 हेट्रोसेक्सुअल महिलाओं से ​​सेल्फ रिपोर्ट डेटा प्राप्त किया गया। रिजल्ट में पाया गया (1) जिन महिलाओं को साथी की बेवफाई का उच्च जोखिम महसूस होता है, उनमें फेक ऑर्गेज्म की संभावना ज्यादा होती है (2) जिन महिलाओं ने ऑर्गेज्म का नाटक करने की अधिक संभावना बताई, उन्होंने अधिक मजबूत रिश्ते की भी रिपोर्ट की।

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हिन्दी फिल्म लस्ट स्टोरी में एक सीन आता है जब कियारा आडवाणी सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करती हैं और उनका पति पकड़ लेता है। इस कहानी में यह देखने को मिलता है कि एक महिला की शारीरिक जरूरत सिर्फ बच्चा पैदा करने तक सीमित नहीं है। उसकी भी अपनी कुछ इच्छाएं होती हैं जिसके बारे में बात करना बहुत जरूरी है। ऐसी बहुत सारी महिलाएं हैं जिन्हें पार्टनर के साथ ऑर्गेज्म नहीं होता है बल्कि उन्हें मास्टरबेशन या फिर सेक्स टॉयज की मदद लेनी पड़ती है।

ऑर्गेज्म ना होने के कुछ मेडिकल कारण भी हो सकते हैं लेकिन भारतीय महिलाएं की ज्यादातर समस्या यह है कि उन्हें अपनी शारीरिक इच्छाओं के बारे में बात करने से डर लगता है क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें जज किया जाएगा। इसके साथ ही महिलाओं को कई बार भी खुद भी मालूम नहीं होता है कि उनकी शारीरिक जरूरतें क्या हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें अपनी सेक्सुअलिटी को एक्सप्लोर करने का मौका ही नहीं मिलता है या फिर उनके आसपास का माहौल ऐसा नहीं होता है।ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि हम महिलाओं को प्रोत्साहित करें कि वह ऐसे टॉपिक पर बात करें और बेडरूम में एक सशक्त महिला के तौर पर जाएं जिसे अपनी शारीरिक जरूरत के बारे में पता हो और orgasm के बारे में बात करने के लिए उनके मन में कोई हिचकिचाहट ना हो।

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