Fairness Obsession: हमारे समाज में गोरेपन को लेकर बहुत ज्यादा पागलपन है। आज हम साइंस युग में पहुंच चुके हैं जहां हम बड़े-बड़े मुद्दों के ऊपर बात करते हैं लेकिन रंग का भेदभाव हमारे बीच में बिल्कुल भी नहीं गया है। खासकर, जब लड़कियों की बात आती है तब समाज में उनके गोरेपन को लेकर बहुत ज्यादा क्रेज है कि लड़की का रंग गोरा होना चाहिए और जिन लड़कियों का रंग गोरा नहीं होता है। उन्हें समाज में बहुत सारी बातों को झेलना पड़ता हैं, भेदभाव होता है और उनकी काबिलियत को कम आंका जाता है। उन्हें सुझाव दिए जाते हैं कि यह फेस वाश इस्तेमाल करना चाहिए, यह क्रीम अप्लाई करनी चाहिए और होम रेमेडीज के बारे में बताया जाता है। ऐसी सोच आज भी हमारे समाज में क्यों मौजूद है?
लड़कियों में गोरे रंग को लेकर समाज में इतना पागलपन क्यों?
रंग भेद पूरी दुनिया में एक बहुत बड़ा मुद्दा है, जब भारतीय समाज की बात आती है तब औरतों में यह ज्यादा देखने को मिलता है। ऐसी ही एक खबर आंध्र प्रदेश के एक गांव से आई है जहां पर पिता की तरफ से अपनी 18 महीने की बेटी को इसलिए जहर देकर मार दिया क्योंकि उसका रंग साफ नहीं था। वह सांवली थी। ऐसा बताया जा रहा है कि बच्ची के रंग के कारण उसे जन्म से ही स्वीकार नहीं किया गया था। बेटी की मां के साथ भी शोषण होता था जिसके दो कारण थे- पहले उसने बेटी को जन्म दिया और दूसरा बेटी का रंग सांवला था। ऐसे समाज पर हमें शर्म आनी चाहिए जहां पर बच्ची का कत्ल सिर्फ उसके रंग के कारण कर दिया। उस बच्ची को साफ और सांवले में फर्क भी नहीं पता था। उसने अभी इस दुनिया को एक्सप्लोर भी नहीं किया था। क्या समाज में सांवले रंग के कारण लड़कियों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार जायज है?
कब तक हम सुंदरता का पैमाना रंग को रखेंगे?
हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसकी पत्नी, बहन, बहु और बेटी सब का रंग साफ होना चाहिए। कोई भी सांवले रंग की महिला को स्वीकार नहीं करता है। यह सब हमारी रूढ़िवादी सोच का भी नतीजा है लेकिन आज के समय में मीडिया का भी इसमें योगदान है क्योंकि हमारे समाज में ऐसे प्रोडक्ट्स भी मिलते हैं जिन्हें यह कहकर बेचा जाता है कि अगर आप इसका इस्तेमाल करेंगे, इन्हें अपनी स्किन पर अप्लाई करेंगे तो आपका रंग साफ हो जाएगा।
ऐसी घटनाएं समाज का दोगलापन शो करती हैं?
यह घटनाएं समाज का दोगलापन दिखाती हैं कि कैसे हमारे समाज में महिलाओं और मर्दों के लिए अलग स्टैंडर्ड हैं। कब तक हम महिलाओं को सुंदरता के नजरिए से देखते रहेंगे। महिलाओं को इतने बेसिक अधिकार भी नहीं है तो आगे इतना बड़ा रास्ता हम कैसे तय करेंगे? जो लोग कहते हैं कि महिला और पुरुष एक बराबर है, उन्हें ऐसी घटनाओं की तरफ देखना चाहिए जो समाज की महिलाओं के प्रति हैवानियत को शो करती हैं।